कौल ने कहा, ‘‘ हमारे मामले में पारित आदेश के खिलाफ भी अपील की गई है। इस मामले पर भी शुक्रवार को सुनवाई करें।’’
New Delhi: उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली सरकार की उस याचिका पर सुनवाई बुधवार को नौ जून तक के लिए स्थगित कर दी, जिसमें उसने उसके द्वारा ‘बाइक-टैक्सी एग्रीगेटर’ रैपिडो को जारी किए गए नोटिस पर रोक लगाए जाने तथा उसे अंतिम नीति अधिसूचित होने तक सेवाएं जारी रखने देने के उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी है।
न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की अवकाशकालीन पीठ से ‘उबर’ (कार सेवा कंपनी) की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता एन. के. कौल ने कहा कि उनका मामला भी समान प्रकृति का है, लेकिन उसे बुधवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध नहीं किया गया।
कौल ने कहा, ‘‘ हमारे मामले में पारित आदेश के खिलाफ भी अपील की गई है। इस मामले पर भी शुक्रवार को सुनवाई करें।’’ इसके बाद पीठ मामले पर सुनवाई स्थगित कर शुक्रवार को उस पर सुनवाई करने को तैयार हो गई।
दिल्ली सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मनीष वशिष्ठ ने सोमवार को कहा था कि अंतिम नीति अधिसूचित होने तक उसके नोटिस पर रोक लगाने का उच्च न्यायालय का फैसला वस्तुतः रैपिडो की रिट याचिका को स्वीकार करने जैसा है।
उच्च न्यायालय ने गत 26 मई को रैपिडो की याचिका पर दिल्ली सरकार को नोटिस जारी करते हुए कहा था कि अंतिम नीति तक ‘बाइक-टैक्सी एग्रीगेटर’ के खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई नहीं की जाएगी। रैपिडो का परिचालन करने वाली ‘रोपेन ट्रांसपोर्टेशन सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड’ ने उच्च न्यायालय के समक्ष अपनी याचिका में कहा कि दिल्ली सरकार का आदेश बिना किसी औचित्य के पारित किया गया, जिसमें गैर-परिवहन दोपहिया वाहनों को यात्रियों को लाने-ले जाने से तुरंत रोकने की बात कही गई है।
याचिका में रैपिडो ने उस कानून को चुनौती दी है, जिसमें दोपहिया वाहनों को परिवहन वाहन के रूप में पंजीकृत करने से बाहर रखा गया है। इस साल की शुरुआत में जारी एक सार्वजनिक नोटिस में, सरकार ने मोटरसाइकिल और टैक्सी सेवाओं को दिल्ली में उनके परिचालन को लेकर आगाह करते हुए कहा था कि उल्लंघन करने वालों पर एक लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। रैपिडो ने दिल्ली सरकार द्वारा उसे जारी किए गए कारण बताओ नोटिस को भी चुनौती दी है।