न्यायालय ने कहा कि हम रासुका के तहत कार्यवाही को रद्द करते हैं और याचिकाकर्ता को रिहा करने का आदेश देते हैं।”
New Delhi: उच्चतम न्यायालय ने उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (सपा) के एक नेता के खिलाफ राजस्व बकाया मामले में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत की जा रही कार्यवाही को रद्द कर दिया है। शीर्ष अदालत ने इस मामले में राज्य सरकार को ‘दिमाग का इस्तेमाल न करने’ और न्यायाधिकार का ‘अनुचित इस्तेमाल’ करने को लेकर फटकार भी लगाई है।
न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति ए अमानुल्ला की पीठ ने कहा कि शीर्ष अदालत मुरादाबाद में एक संपत्ति के राजस्व बकाया विवाद के संबंध में याचिकाकर्ता यूसुफ मलिक के खिलाफ पिछले साल अप्रैल में रासुका के तहत शक्तियों के इस्तेमाल से ‘काफी हैरान’ है।
पीठ ने राज्य सरकार का पक्ष रख रहे अधिवक्ता से सोमवार को सवाल किया, “क्या यह रासुका के तहत मामला बनता है?” उसने कहा कि यही कारण है कि राजनीतिक प्रतिशोध के आरोप लगाए जाते हैं। पीठ ने कहा, “यह दिमाग का उपयोग न करने और न्यायाधिकार का अनुचित इस्तेमाल करने का मामला है। हम रासुका के तहत कार्यवाही को रद्द करते हैं और याचिकाकर्ता को रिहा करने का आदेश देते हैं।”
पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता को दो अन्य प्राथमिकियों में पहले ही जमानत दी जा चुकी है, जिसके आधार पर पुलिस प्राधिकारियों ने उसके खिलाफ रासुका के तहत कार्यवाही शुरू करने के लिए आवेदन दिया।
पीठ ने मलिक की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान यह आदेश दिया। इस याचिका में दावा किया गया था कि मलिक को मनगढ़ंत आरोपों के आधार पर झूठे मामलों में फंसाया गया है और उसके बाद रासुका के प्रावधानों को लागू करके उन्हें अनिश्चितकाल के लिए जेल में रखने के इरादे से उनके खिलाफ निरोध आदेश पारित किया गया है। मामले में मलिक की पैरवी वरिष्ठ अधिवक्ता वसीम ए कादरी और सईद कादरी सहित अन्य वकीलों ने की।.