शहरी मामलों के मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने इसकी घोषणा की।
Delhi Sarai Kale Khan-ISBT Chowk renamed Birsa Munda Chowk news In Hindi: राष्ट्रीय राजधानी में सराय काले खां बस स्टैंड का नाम बदलकर बिरसा मुंडा चौक रखा जाएगा, आदिवासी नेता बिरसा मुंडा की जयंती पर आवास और शहरी मामलों के मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने इसकी घोषणा की।
खट्टर ने घोषणा करते हुए, खट्टर ने कहा, "आज मैं घोषणा कर रहा हूं कि यहां आईएसबीटी बस स्टैंड के बाहर जो बड़ा चौक है का नाम भगवान बिरसा मुंडा जी के नाम से रखा जाता है। ताकि उस चौक का नाम देखकर, न केवल दिल्ली के नागरिक बल्कि अंतर्राष्ट्रीय बस स्टैंड पर आने-जाने वाले लोग इस प्रतिमा और उस चौक का नाम देखकर निश्चित रूप से उनके जीवन से प्रेरित होंगे।"
#WATCH | Delhi: Union Minister Manohar Lal Khattar says, "I am announcing today that the big chowk outside the ISBT bus stand here will be known after Bhagwan Birsa Munda. Seeing this statue and the name of that chowk, not only the citizens of Delhi but also the people visiting… pic.twitter.com/wc9Mvz4dN9
— ANI (@ANI) November 15, 2024
अमित शाह ने बिरसा मुंडा की प्रतिमा का किया अनावरण
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के अवसर पर राष्ट्रीय राजधानी में उनकी प्रतिमा का अनावरण किया और सामाजिक सुधारों में उनके योगदान तथा 'धर्मांतरण' के खिलाफ खड़े होने के साहस की सराहना की।
#WATCH | Delhi: Union Home Minister Amit Shah unveils a statue of Bhagwan Birsa Munda, in Delhi on the occassion of 'Janjatiya Gaurav Divas'.
— ANI (@ANI) November 15, 2024
Delhi LG VK Saxena, Union Minister Manohar Lal Khattar are also present. pic.twitter.com/fizMCugSey
इस अवसर पर दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना और केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर भी मौजूद थे। गृह मंत्री ने कहा कि आजादी के लिए और धर्मांतरण के खिलाफ उनके आंदोलनों के लिए राष्ट्र हमेशा बिरसा मुंडा का आभारी रहेगा। शाह ने कहा कि जब पूरा देश और दुनिया के दो तिहाई हिस्से पर अंग्रेजों का शासन था, उस समय उन्होंने धर्मांतरण के खिलाफ खड़े होने का साहस दिखाया।
बिरसा मुंडा कौन थे?
भारतीय आदिवासी स्वतंत्रता संग्राम के नायक बिरसा मुंडा ने छोटानागपुर क्षेत्र के आदिवासी समुदाय को अपनी स्वतंत्रता के लिए लड़ने के लिए प्रेरित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ़ "उलगुलान" (विद्रोह) के रूप में जानी जाने वाली सशस्त्र क्रांति का नेतृत्व किया।
वे छोटानागपुर पठार क्षेत्र में मुंडा जनजाति से थे। उन्होंने 19वीं सदी की शुरुआत में ब्रिटिश उपनिवेश के तहत बिहार और झारखंड क्षेत्रों में उठे भारतीय आदिवासी जन आंदोलन का नेतृत्व किया।
मुंडा ने आदिवासियों को ब्रिटिश सरकार द्वारा की जाने वाली ज़बरदस्ती ज़मीन हड़पने के खिलाफ़ लड़ने के लिए एकजुट किया, जिससे आदिवासी बंधुआ मज़दूर बन गए और उन्हें घोर गरीबी में धकेल दिया गया। उन्होंने अपने लोगों को अपनी ज़मीन के मालिकाना हक़ और उस पर अपने अधिकारों का दावा करने के महत्व का एहसास कराया।
उन्होंने बिरसाइत धर्म की स्थापना की, जो जीववाद और स्वदेशी मान्यताओं का मिश्रण था, जिसमें एक ही ईश्वर की पूजा पर जोर दिया गया था। वे उनके नेता बन गए और उन्हें 'धरती आबा' या धरती का पिता उपनाम दिया गया। 9 जून, 1900 को 25 वर्ष की आयु में उनकी मृत्यु हो गई। केंद्र सरकार द्वारा 2021 में बिरसा मुंडा की जयंती 15 नवंबर को 'जनजातीय गौरव दिवस' घोषित किया गया।
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