शीर्ष अदालत ने फैसला सुनाया कि वैधानिक सबूत के अभाव में किसी अभियुक्त की उम्र के संबंध में चिकित्सकीय राय को ‘‘दरकिनार’’ नहीं किया जा सकता।
New Delhi : उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि कठुआ में आठ साल की बच्ची से सामूहिक बलात्कार और उसकी हत्या के सनसनीखेज मामले का आरोपी नाबालिग नहीं है और अब उसके खिलाफ वयस्क के तौर पर नए सिरे से मुकदमा चलाया जा सकता है।.
शीर्ष अदालत ने फैसला सुनाया कि वैधानिक सबूत के अभाव में किसी अभियुक्त की उम्र के संबंध में चिकित्सकीय राय को ‘‘दरकिनार’’ नहीं किया जा सकता।.
न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की पीठ ने कहा, ‘‘अभियुक्त की आयु सीमा निर्धारित करने के लिए किसी अन्य निर्णायक सबूत के अभाव में चिकित्सकीय राय पर विचार किया जाना चाहिए ... चिकित्सकीय साक्ष्य पर भरोसा किया जा सकता है या नहीं, यह साक्ष्य की अहमियत पर निर्भर करता है।’’
पीठ ने कठुआ के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) और उच्च न्यायालय के आदेशों को रद्द कर दिया। इन आदेशों में कहा गया था कि मामले के समय आरोपी शुभम सांगरा नाबालिग था और इसलिए उस पर अलग से मुकदमा चलाया जाना चाहिए।
न्यायमूर्ति पारदीवाला ने फैसला सुनाते हुए कहा, ‘‘हम सीजेएम कठुआ और उच्च न्यायालय के फैसलों को दरकिनार करते हैं और फैसला सुनाते हैं कि अपराध के समय आरोपी नाबालिग नहीं था।’’
कठुआ गांव में बच्ची से 2019 में बलात्कार किया गया था। एक विशेष अदालत ने जून 2019 में इस मामले में तीन लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी और सबूत नष्ट करने को लेकर तीन पुलिस अधिकारियों को पांच साल कैद का दंड दिया गया था, लेकिन सांगरा के खिलाफ मुकदमे को किशोर न्याय बोर्ड में स्थानांतरित कर दिया गया था .