कांग्रेस ने चीन-भारत सीमा मुद्दे पर प्रधानमंत्री की चुप्पी पर उठाए सवाल

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कांग्रेस ने चीन-भारत सीमा मुद्दे पर प्रधानमंत्री की चुप्पी पर उठाए सवाल
Published : Dec 16, 2022, 6:29 pm IST
Updated : Dec 16, 2022, 6:29 pm IST
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Congress raised questions on the silence of the Prime Minister on the China-India border issue
Congress raised questions on the silence of the Prime Minister on the China-India border issue

जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर सीमा गतिरोध पर अपने 2020 के बयान के जरिये चीनियों को ‘‘बरी’’ करने का आरोप लगाया और

दौसा (राजस्थान) : भारत-चीन सीमा मुद्दे पर सरकार के खिलाफ अपने विरोध को और तीखा करते हुए कांग्रेस ने शुक्रवार को बढ़ते व्यापार घाटे का हवाला दिया और कहा कि उस देश के साथ व्यापार ‘सामान्य’ है, लेकिन सीमा पर स्थिति ‘असामान्य’ है। कांग्रेस महासचिव प्रभारी (संचार) जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर सीमा गतिरोध पर अपने 2020 के बयान के जरिये चीनियों को ‘‘बरी’’ करने का आरोप लगाया और पूछा कि क्या तब जो हुआ था वह ‘‘घुसपैठ’’ थी या चीनियों की ‘‘सैर’’ थी।

रमेश ने आरोप लगाया कि अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में भारत और चीनी सैनिकों के बीच हाल के संघर्ष के बाद प्रधानमंत्री ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को इस सप्ताह की शुरुआत में संसद में ‘सबसे निरर्थक’ बयान पढ़ने के लिए ‘मजबूर’ किया।

उन्होंने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री की चुप्पी को लेकर भी उन पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि महत्वपूर्ण मुद्दे पर बहस की मांग करना विपक्षी दलों का लोकतांत्रिक अधिकार है।

पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में यहां ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘प्रधानमंत्री चीन के राष्ट्रपति से 18 बार मिल चुके हैं। (पूर्व विदेश मंत्री) सुषमा स्वराज ने कहा था कि व्यापार और आतंकवाद साथ-साथ नहीं चल सकते। लेकिन अप्रैल 2020 में चीन द्वारा वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव पैदा करने के बाद, चीन से हमारा आयात बढ़ गया है, हमारा व्यापार घाटा बढ़ गया है।’’

वर्ष 1962 में जो हुआ उसका उदाहरण देते हुए, कांग्रेस नेता ने कहा कि जब चीनी हमला हो रहा था तब राज्यसभा और लोकसभा में बहस हो रही थी।

उन्होंने कहा, ‘‘पंडित जवाहरलाल नेहरू और मंत्रिमंडल में उनके सहयोगियों ने सरकार की तीखी आलोचना को सुना और जवाब दिया।’’. रमेश ने याद किया कि स्वतंत्र पार्टी के एक सदस्य के रूप में लोकसभा में पाली का प्रतिनिधित्व करने वाले एल एम सिंघवी ने नेहरू को पत्र लिखकर चीनी हमले पर चर्चा करने के लिए संसद के एक गुप्त सत्र की मांग की थी और तत्कालीन प्रधानमंत्री ने जवाब दिया था कि गुप्त सत्र के बारे में सोचना बेतुका है और यह एक खुला सत्र होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि यह पत्र सार्वजनिक रिकॉर्ड में है।

रमेश ने कहा कि यह एक असाधारण बात है कि संसद का एक विपक्षी सदस्य चीनी हमले पर चर्चा करने के वास्ते संसद का एक गुप्त सत्र बुलाने के लिए प्रधानमंत्री को पत्र लिख रहा है, लेकिन प्रधानमंत्री ने कहा कि इस पर लोकसभा और राज्यसभा में खुलकर चर्चा होनी चाहिए।. उन्होंने कहा, ‘‘और हमारे यहां एक ऐसे प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने ढाई साल में एक शब्द भी नहीं बोला।’’ उन्होंने पूछा कि चीनी लद्दाख में क्या कर रहे हैं और अरुणाचल प्रदेश में क्या कर रहे हैं।

कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘आइए हम संसद में बहस करें। बहस का मतलब राजनीतिक बढ़त हासिल करना नहीं है, यह एक सामूहिक संकल्प, संसद की सामूहिक इच्छा को दर्शाने के लिए है।’’

उन्होंने कहा कि राजनीतिक मतभेद हैं और मोदी सरकार के साथ राजनीतिक मतभेदों के चलते ‘भारत जोड़ो यात्रा’ हो रही है, लेकिन इसके बावजूद बाहरी सुरक्षा के मामले में हम एक स्वर में बोलेंगे।

इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री की ‘चुप्पी’ पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि चीनी कंपनियां भारत में लगातार फल-फूल रही हैं और प्रधानमंत्री अब भी चुप हैं। उन्होंने कहा, ‘‘विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन और इंडिया फाउंडेशन और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के बीच क्या संबंध हैं, मैं पूछना चाहता हूं।’’

कांग्रेस महासचिव के. सी. वेणुगोपाल ने भी चीन-भारत सीमा मुद्दे पर सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि जो लोग विपक्ष में रहते हुए राष्ट्रवाद की बात करते रहे हैं, वे संसद में सीमा मुद्दे पर चर्चा तक नहीं होने दे रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘वे (भाजपा) इस प्रकार की चीनी आक्रामकता के बारे में बहुत बात करते हैं लेकिन अब वे संसद में चर्चा तक की अनुमति नहीं दे रहे हैं। हम क्षेत्रीय अखंडता के बारे में बहुत चिंतित हैं।’’

उन्होंने सवाल किया कि संसद के अलावा इस पर बहस कहां होगी। वेणुगोपाल ने यात्रा के दौरान ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘प्रधानमंत्री को बयान देना चाहिए और इन चीजों पर चर्चा होनी चाहिए।’’

Location: India, Delhi, New Delhi

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