उप्र : शैक्षणिक संस्थानों ने 75 करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति का किया गबन

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उप्र : शैक्षणिक संस्थानों ने 75 करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति का किया गबन
Published : Feb 18, 2023, 11:23 am IST
Updated : Feb 18, 2023, 11:23 am IST
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Educational institutions in UP embezzled scholarship worth Rs 75 crore
Educational institutions in UP embezzled scholarship worth Rs 75 crore

ईडी ने आरोप लगाया, ‘‘अपराध की आय को संस्थानों के मालिकों और उनसे संबंधित संस्थाओं और व्यक्तियों के नियंत्रण वाले विभिन्न बैंक खातों में भेजा गया।’’

New Delhi:  प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पाया है कि उत्तर प्रदेश में कुछ शैक्षणिक संस्थानों ने 75 करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति राशि का कथित रूप से गबन किया जो आर्थिक रूप से कमजोर, अल्पसंख्यक वर्ग और दिव्यांग छात्रों के लिए थी।.

संघीय जांच एजेंसी ने 16 फरवरी को उत्तर प्रदेश के विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों द्वारा मैट्रिक के बाद की छात्रवृत्ति ‘‘धोखाधड़ी’’ से हासिल करने से जुड़े धनशोधन मामले में राज्य के छह जिलों में 22 स्थानों पर छापे मारे। धनशोधन का मामला राज्य सतर्कता ब्यूरो की 2017 की एक शिकायत से उपजा है।

ईडी ने शुक्रवार को जारी एक बयान में कहा कि उसकी जांच के घेरे में जो संस्थान हैं उनमें एस एस इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, मामपुर, लखनऊ; हाइजिया कॉलेज ऑफ फार्मेसी, लखनऊ; हाइजिया इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मेसी/सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मेसी, लखनऊ; लखनऊ इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड एजुकेशन, लखनऊ और डॉ. ओम प्रकाश गुप्ता इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी, फर्रुखाबाद शामिल हैं।

इसके साथ ही डॉ. भीम राव आंबेडकर फाउंडेशन और जीविका कॉलेज ऑफ फार्मेसी, आर पी इंटर कॉलेज, ज्ञानवती इंटर कॉलेज और जगदीश प्रसाद वर्मा उच्च माध्यमिक विद्यालय, सभी हरदोई भी उन संस्थानों में शामिल हैं, जिनके खिलाफ धनशोधन रोकथाम अधिकनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत जांच की जा रही है।

उसने कहा कि हाइजिया समूह के कॉलेजों का नियंत्रण और प्रबंधन आई एच जाफरी, ओ पी गुप्ता संस्थान का शिवम गुप्ता द्वारा, एस एस संस्थान का प्रवीण कुमार चौहान द्वारा और जीविका कॉलेज का राम गुप्ता द्वारा किया जाता है।

ईडी ने आरोप लगाया कि इन संस्थानों ने कई अपात्र उम्मीदवारों के नाम पर ‘‘गैरकानूनी रूप से’’ छात्रवृत्ति का लाभ उठाया और धन का ‘‘गबन’’ किया। ईडी ने कहा कि अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी), शारीरिक रूप से अक्षम या दिव्यांग) उम्मीदवारों और अल्पसंख्यक समुदायों और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के छात्रों की शिक्षा की सुविधा के लिए केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है। उसने कहा, ‘‘छात्रवृत्ति घोटाले का समाज के कमजोर वर्गों पर एक बड़ा सामाजिक प्रभाव है।’’

ईडी ने कार्यप्रणाली के बारे में बताते हुए कहा कि ‘‘घोटाला’’ मोहम्मद साहिल अजीज, अमित कुमार मौर्य, तनवीर अहमद, जितेंद्र सिंह और रवि प्रकाश गुप्ता सहित फिनो पेमेंट्स बैंक के कई एजेंटों की सक्रिय सहायता से किया गया। एजेंसी ने कहा कि यह फिनो पेमेंट्स बैंक के प्लेटफॉर्म पर खाते खोलने के लिए प्रक्रिया में छूट का दुरुपयोग करके किया गया।

ईडी ने आरोप लगाया, ‘‘आरोपियों ने सभी बैंक खाते फिनो की लखनऊ और मुंबई शाखाओं में खोले थे। संस्थानों ने छात्रवृत्ति धन के इलेक्ट्रॉनिक हस्तांतरण और नकद निकासी, दोनों में फिनो एजेंट की सेवाओं का लाभ उठाया।’’

ईडी ने आरोप लगाया, ‘‘अपराध की आय को संस्थानों के मालिकों और उनसे संबंधित संस्थाओं और व्यक्तियों के नियंत्रण वाले विभिन्न बैंक खातों में भेजा गया।’’

जांच में पाया गया कि अधिक छात्रवृत्ति राशि का लाभ उठाने के लिए, इन कॉलेजों और संस्थानों ने बच्चों (7-12 वर्ष की आयु में) और 45 वर्ष और उससे अधिक आयु वर्ग के लोगों के बैंक खातों का उपयोग किया।

ईडी ने कहा कि अब तक की गई जांच से पता चला है कि इन संस्थानों ने विभिन्न लोगों के दस्तावेजों का उपयोग करके लगभग 3,000 ऐसे खाते खोले। उसने कहा कि यह पाया गया कि अधिकांश खाते ग्रामीणों के नाम पर हैं, जिन्हें उनके बारे में पता भी नहीं है और उन्हें कभी कोई छात्रवृत्ति नहीं मिली है। हालांकि नियम यह है कि छात्रवृत्ति राशि छात्रों के बैंक खातों में जमा की जानी चाहिए, लेकिन संबंधित संस्थानों ने नियमों को दरकिनार किया और फिनो पेमेंट्स बैंक के एजेंटों से खाता किट सीधे अपने नियंत्रण में ले लिया।

ईडी ने दावा किया कि कुछ मामलों में, संस्थान और उनके कर्मचारी अवैध रूप से फिनो बैंक एजेंटों को जारी किए गए आईडी और पासवर्ड प्राप्त करने और उनका उपयोग करने में कामयाब रहे और संस्थान के परिसर में बैंक द्वारा जारी किए गए माइक्रो-एटीएम को संचालित करने में भी कामयाब रहे। इसमें कहा गया है, ‘‘छात्रवृत्ति राशि संस्थानों द्वारा छात्रों के खातों से नकद में निकाली गई।’’

एजेंसी ने छापेमारी के दौरान 36.51 लाख रुपये और 956 अमेरिकी डॉलर नकद के अलावा बड़ी संख्या में सिम कार्ड, स्टैंप और विभिन्न संस्थाओं की मुहरें जब्त कीं। इसने कहा कि संस्थान प्रथम दृष्टया विभिन्न दस्तावेजों की ‘‘जालसाजी और उन्हें गढ़ने’’ में शामिल थे। ईडी ने कहा, ‘‘छात्रवृत्ति घोटाले में (लगभग) 75 करोड़ रुपये से अधिक की अपराध की आय शामिल होने की आशंका है।’’

Location: India, Delhi, New Delhi

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