प्रधानमंत्री ने कहा कि व्यापक रणनीति के बिना आतंकवाद के वित्त पोषण पर चोट करने का लक्ष्य हासिल नहीं किया जा सकता और इस दिशा में....
New Delhi : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को परोक्ष रूप से पाकिस्तान को निशाने पर लेते हुए कहा कि जो देश अपनी विदेश नीति के तहत आतंकवाद का समर्थन करते हैं और उसे राजनीतिक, वैचारिक व वित्तीय सहायता प्रदान करते हैं, उन्हें इसकी कीमत चुकानी होगी।
केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से राजधानी स्थित होटल ताज पैलेस में आतंकवाद-रोधी वित्तपोषण पर ‘आतंक के लिए कोई धन नहीं’ (नो मनी फॉर टेरर) विषय पर आयोजित मंत्रिस्तरीय सम्मेलन का उद्घाटन करने के बाद अपने संबोधन में मोदी ने आतंकवादियों के प्रति सहानुभूति पैदा करने की कोशिश करने वाले संगठनों और व्यक्तियों को भी अलग-थलग किए जाने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा, ‘‘यह सर्वविदित है कि आतंकवादी संगठनों को कई स्रोतों के माध्यम से पैसा मिलता है। एक स्रोत राज्य समर्थन है। कुछ देश अपनी विदेश नीति के तहत आतंकवाद का समर्थन करते हैं। वे उन्हें राजनीतिक, वैचारिक और वित्तीय सहायता प्रदान करते हैं।’’
उन्होंने किसी देश का नाम लिए बगैर कहा, ‘‘अंतरराष्ट्रीय संगठनों को यह नहीं सोचना चाहिए कि युद्ध नहीं हो रहा है तो इसका मतलब शांति है। छद्म युद्ध भी खतरनाक और हिंसक होते हैं। आतंकवाद का समर्थन करने वाले देशों को इसकी कीमत चुकानी होगी।’’
आतंकवाद को मानवता, स्वतंत्रता और सभ्यता पर हमला करार देते हुए मोदी ने कहा कि केवल एक समान, एकीकृत, शून्य सहिष्णुता दृष्टिकोण ही आतंकवाद को हरा सकता है।
मोदी ने कहा कि आतंकवाद के वित्तपोषण का एक स्रोत संगठित अपराध है जिसे अलग करके नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘गिरोहों के आतंकवादियों के साथ गहरे संबंध हैं। बंदूक, ड्रग्स और तस्करी से प्राप्त पैसे को आतंकवाद में लगाया जा रहा है... आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में संगठित अपराधों के खिलाफ कार्रवाई बेहद महत्वपूर्ण है। आतंकवाद को उखाड़ फेंके जाने तक देश चैन से नहीं बैठेगा।’’
उन्होंने कहा कि सभी आतंकवादी हमलों में एक समान आक्रोश और कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि दशकों से विभिन्न नामों और रूपों में आतंकवाद ने भारत को चोट पहुंचाने की कोशिश की और इस वजह से देश ने हजारों कीमती जीवन खो दिए लेकिन इसके बावजूद देश ने आतंकवाद का बहादुरी से मुकाबला किया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि व्यापक रणनीति के बिना आतंकवाद के वित्त पोषण पर चोट करने का लक्ष्य हासिल नहीं किया जा सकता और इस दिशा में अभी तक जो रणनीतिक बढ़त मिली है, वह भी कहीं पीछे छूट जाएगी।
मोदी ने कहा कि संप्रभु देशों को अपनी प्रणालियों पर अधिकार है, लेकिन ‘‘हमें चरमपंथी तत्वों को प्रणालियों के बीच मतभेदों का दुरुपयोग करने की अनुमति नहीं देनी चाहिए’’। उन्होंने कहा, ‘‘जो कोई भी कट्टरपंथ का समर्थन करता है, उसे किसी भी देश में समर्थन नहीं मिलना चाहिए।’’
सम्मेलन के भारत में आयोजन की अहमियत को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने बहुत पहले ही आतंकवाद की भयावहता को गंभीरता से लेने की पहल की थी। मोदी ने कहा कि आतंकवाद का दीर्घकालिक स्वरूप विशेष रूप से गरीबों या स्थानीय अर्थव्यवस्था पर चोट करता है, चाहे वह पर्यटन हो या व्यापार।
उन्होंने कहा कि कोई भी उस क्षेत्र में जाना पसंद नहीं करता है जो खतरे में है और इसके कारण लोगों की रोजी-रोटी छिन जाती है। . उन्होंने कहा, ‘‘यह अधिक महत्वपूर्ण है कि हम आतंकवाद के वित्तपोषण की जड़ पर प्रहार करें।’’
इस दो दिवसीय सम्मेलन का आयोजन आतंकवाद-रोधी वित्तपोषण पर मौजूदा अंतरराष्ट्रीय शासन की प्रभावशीलता के साथ-साथ उभरती चुनौतियों के समाधान के लिए आवश्यक कदमों पर विचार-विमर्श करने के लिए किया गया है ।
सम्मेलन में दुनिया भर के लगभग 450 प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। इनमें मंत्री, बहुपक्षीय संगठनों के प्रमुख और वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख शामिल हैं।
सम्मेलन के दौरान, चार सत्रों में 'आतंकवाद और आतंकवादी वित्तपोषण में वैश्विक रुझान’, ‘आतंकवाद के लिए धन के औपचारिक और अनौपचारिक चैनलों का उपयोग’, ‘उभरती प्रौद्योगिकियां और आतंकवादी वित्तपोषण’ और ‘आतंकवादी वित्तपोषण का मुकाबला करने में चुनौतियों के समाधान के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग’ विषयों पर चर्चा की जाएगी।