पीठ ने कहा, ‘‘यह पाया गया कि इस तरह के अध्यादेश की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने का मुद्दा उच्चतम न्यायालय में लंबित है।’’
New Delhi: दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (संशोधन) अध्यादेश,2023 को चुनौती देने वाली एक याचिका पर विचार करने से बृहस्पतिवार को इनकार कर दिया।
न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति संजीव नरूला की पीठ ने कहा कि अध्यादेश की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने का मुद्दा उच्चतम न्यायालय के समक्ष पहले से लंबित है और याचिकाकर्ता को शीर्ष न्यायालय का रुख करने की छूट दी जाती है। पीठ ने कहा, ‘क्या उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय एक ही विषय की सुनवाई कर सकता है? आप उच्चतम न्यायालय का रुख करें।’’
उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता को याचिका वापस लेने की अनुमति दी। पीठ ने कहा, ‘‘यह पाया गया कि इस तरह के अध्यादेश की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने का मुद्दा उच्चतम न्यायालय में लंबित है।’’
पीठ ने कहा, ‘‘याचिकाकर्ता ने लंबित मुद्दे में, एक उपयुक्त अर्जी दायर करने की छूट देने के साथ याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी है। रिट याचिका को वापस लिया मानकर इसका निस्तारण किया जाता है।’’ केंद्र ने दिल्ली में ‘ग्रुप-ए’ के अधिकारियों के तबादले व पदस्थापन के लिए 19 मई को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (संशोधन) अध्यादेश, 2023 जारी किया था, जिससे अरविंद केजरीवाल सरकार के साथ उसकी तकरार शुरू हो गई।