शीर्ष अदालत को सूचित किया गया कि दिल्ली-अलवर आरआरटीएस गलियारे के संबंध में केंद्र सरकार की मंजूरी का इंतजार है।
New Delhi: उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली को मेरठ से जोड़ने के लिए बनाए जा रहे ‘क्षेत्रीय त्वरित परिवहन प्रणाली’ (आरआरटीएस) गलियारे के लिए पर्यावरण मुआवजा शुल्क (ईसीसी) कोष से 10 दिन में 500 करोड़ रुपए का योगदान देने का दिल्ली सरकार को शुक्रवार को निर्देश दिया। यह रेल गलियारा दिल्ली को मेरठ से जोड़ेगा और 82.15 किलोमीटर के इस गलियारे को बनाने की अनुमानित लागत 31,632 करोड़ रुपये है। कुल 24 स्टेशन वाले इस गलियारे की मदद से दिल्ली में सराय काले खां से मेरठ के मोदीपुरम तक की दूरी 60 मिनट में तय की जा सकेगी।
शीर्ष अदालत को सूचित किया गया कि दिल्ली-अलवर आरआरटीएस गलियारे के संबंध में केंद्र सरकार की मंजूरी का इंतजार है। इसके बाद न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति ए अमानुल्लाह की पीठ ने केंद्र के वकील से दिल्ली-अलवर आरआरटीएस गलियारे के संबंध में निर्देश प्राप्त करने को कहा। पीठ ने दिल्ली सरकार की ओर से पेश वकील को भी दिल्ली-पानीपत आरआरटीएस गलियारे के लिए मंजूरी के संबंध में निर्देश लेने को कहा।
प्रदूषण संबंधी एक मामले की सुनवाई में आरआरटीएस का मामला सामने आया था। प्रदूषण संबंधी मामले में न्याय मित्र अपराजिता सिंह ने पीठ को बताया कि दिल्ली-अलवर गलियारे पर केंद्र की मंजूरी का इंतजार है, जबकि दिल्ली-पानीपत गलियारे के लिए भी दिल्ली सरकार की स्वीकृति की प्रतीक्षा की जा रही है।
सिंह ने पीठ को बताया कि दिल्ली सरकार ने दिल्ली-मेरठ आरआरटीएस गलियारे के लिए ईसीसी निधि से 500 करोड़ रुपये के अनुदान के संबंध में एक आवेदन दिया है। इस निधि में लगभग 1,100 रुपये हैं। उन्होंने शीर्ष अदालत के छह मार्च, 2019 के उस आदेश का हवाला दिया, जिसमें दिल्ली सरकार को दिल्ली-मेरठ आरआरटीएस गलियारे के लिए 10 दिनों के भीतर ईसीसी निधि से 265 करोड़ रुपये का योगदान करने का निर्देश दिया गया था, जिसमें कर देयता भी शामिल थी।
न्यायमित्र ने दलील दी कि शीर्ष अदालत ने पहले कहा था कि प्रदूषण को कम करने की खातिर दिल्ली के बुनियादी ढांचे के विकास के लिए ईसीसी का उपयोग किया जाना चाहिए और ईसीसी निधि से 500 करोड़ रुपये के अनुदान के आवेदन को स्वीकार किया जाना चाहिए क्योंकि यह परियोजना दिल्ली में आने वाले वाहनों के प्रवाह को कम करने में मदद करेगी। पीठ ने सोमवार को पारित अपने आदेश में कहा कि मार्च 2019 के आदेश का हवाला देते हुए न्याय मित्र ने उस आदेश में निर्धारित नियमों और शर्तों पर 500 करोड़ रुपये जारी करने पर कोई आपत्ति नहीं जताई है।
पीठ ने कहा, ‘‘तदनुसार हम दिल्ली सरकार को 10 दिन के भीतर ईसीसी कोष से 500 करोड़ रुपये का योगदान करने का निर्देश देते हैं।’’
शीर्ष अदालत ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (एनसीआरटीसी) के वकील की इन दलीलों का भी संज्ञान लिया कि दिल्ली सरकार को गलियारे के लिए लगभग 400 करोड़ रुपये का और योगदान देना होगा और इसके लिए बजटीय आवंटन करना होगा।
पीठ ने दिल्ली सरकार से कहा कि यदि पहले अपेक्षित बजटीय आवंटन नहीं किया गया है, तो ऐसा किया जाए, ताकि परियोजना रुके नहीं। पीठ ने दिल्ली-अलवर और दिल्ली-पानीपत गलियारे से संबंधित मामलों को जुलाई में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया।