अदालत ने मामले को तीन नवंबर को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है ...
New Delhi: दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली के कथित आबकारी नीति घोटाले से संबंधित धन शोधन मामले में हैदराबाद के व्यवसायी अरुण रामचंद्र पिल्लई की उनकी गिरफ्तारी और रिमांड को चुनौती देने वाली याचिका पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से उसका रुख बताने के लिए कहा है। न्यायमूर्ति स्वर्णकांता शर्मा ने शुक्रवार को जांच एजेंसी से याचिका की विचारणीयता के संबंध में जवाब दाखिल करने को कहा।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील नितेश राणा ने तर्क दिया कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के छह मार्च के गिरफ्तारी आदेश और सुनवाई अदालत द्वारा उनके मुवक्किल को एजेंसी की हिरासत और फिर न्यायिक हिरासत में भेजने संबंधी पारित रिमांड के आदेश धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) प्रावधानों का उल्लंघन थे।
याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा कि पीएमएलए की धारा 19(1) के तहत गिरफ्तारी के लिए उसे कभी मौखिक या लिखित रूप से कोई आधार नहीं बताया गया और यह उसके संवैधानिक अधिकारों का भी उल्लंघन है।.
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया है कि रिमांड के आदेशों में इस बात को लेकर कुछ संतोषजनक नहीं कहा गया है कि क्या ईडी के पास यह विश्वास करने के लिए रिकॉर्ड पर सामग्री थी कि याचिकाकर्ता पीएमएलए के तहत अपराध का दोषी है।
याचिका में कहा गया है, ‘‘प्रवर्तन निदेशालय ने प्रतिशोधात्मक तरीके से और पूरी तरह से पीछे पड़ने की कवायद के रूप में जानकारी प्राप्त करने के लिए जोर-जबरदस्ती की रणनीति अपनाई है और याचिकाकर्ता/आवेदक के साथ-साथ अन्य आरोपियों पर थर्ड डिग्री उपायों का इस्तेमाल किया है।’’ इसमें कहा गया है, ‘‘ईडी को विवादित गिरफ्तारी आदेश के साथ-साथ विवादित रिमांड आदेशों द्वारा इस तरह के अवैध तरीके से कार्य करने में सक्षम बनाया गया था, जो अपने आप में उक्त गिरफ्तार आदेश और विवादित रिमांड आदेशों को रद्द करने का एक आधार है।’’
ईडी के वकील ने दलील दी कि याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। अदालत ने मामले को तीन नवंबर को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है जब याचिकाकर्ता की जमानत याचिका भी विचार के लिए निर्धारित है। इस महीने की शुरुआत में याचिकाकर्ता ने मामले में जमानत की मांग करते हुए कहा था कि उसे जेल में रखने के लिए सबूत नहीं है। गत आठ जून को एक सुनवाई अदालत ने जमानत के लिए पिल्लई की याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि उनकी भूमिका कुछ अन्य आरोपियों की तुलना में अधिक गंभीर थी, जो अब भी जेल में हैं, और प्रथम दृष्टया ईडी का मामला सही है।