कमाने में सक्षम पति या पत्नी अगर बेरोजगार हो तो वह अपने खर्चों का बोझ दूसरे पर नही डाल सकता, दिल्ली HC की बड़ी टिप्पणी

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कमाने में सक्षम पति या पत्नी अगर बेरोजगार हो तो वह अपने खर्चों का बोझ दूसरे पर नही डाल सकता, दिल्ली HC की बड़ी टिप्पणी
Published : Nov 22, 2023, 5:56 pm IST
Updated : Nov 22, 2023, 5:56 pm IST
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big comment of Delhi HC
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उन्हें दूसरे साथी पर भरण-पोषण के खर्चों को पूरा करने की एकतरफा जिम्मेदारी डालने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।

Big Comment of Delhi High Court : दिल्ली हाई कोर्टने कहा है कि कमाने की योग्यता रखने वाले पति या पत्नी को बेरोजगार रहने और खर्चों का बोझ अपने जीवनसाथी पर डालने की अनुमति नहीं दी जा सकती। उच्च न्यायालय ने कहा है कि एक पति या पत्नी जिसके पास कमाने की उचित क्षमता है, लेकिन पर्याप्त स्पष्टीकरण के बिना वह बेरोजगार रहना चाहते है तो उन्हें दूसरे साथी पर भरण-पोषण के खर्चों को पूरा करने की एकतरफा जिम्मेदारी डालने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।

उच्च न्यायालय ने एक व्यक्ति द्वारा अलग रह रही अपनी पत्नी को हिंदू विवाह अधिनियम (एचएमए) के तहत दिए जाने वाले मासिक भरण-पोषण की राशि को 30,000 रुपये से घटाकर 21,000 रुपये करते हुए यह टिप्पणी की। अदालत ने कहा कि महिला ने दावा किया है कि उसके पास आय का कोई स्रोत नहीं है, लेकिन दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक होने के कारण उसकी शैक्षिक पृष्ठभूमि उचित है।

न्यायमूर्ति वी. कामेश्वर राव और न्यायमूर्ति अनूप कुमार मेंदीरत्ता की एक पीठ ने कहा, ‘‘ऐसे पति या पत्नी जिनके पास कमाने की उचित क्षमता है, लेकिन जो बिना किसी पर्याप्त स्पष्टीकरण या रोजगार हासिल करने के अपने ईमानदार प्रयासों का संकेत दिए बिना बेरोजगार रहना पसंद करते हैं, उन्हें अपने खर्चों को पूरा करने की एकतरफा जिम्मेदारी दूसरे पक्ष पर डालने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।’’ पीठ ने कहा कि एचएमए के तहत भरण-पोषण का प्रावधान लैंगिक रूप से तटस्थ है और अधिनियम की धाराओं 24 और 25 के तहत दोनों पक्षों के बीच विवाह अधिकारों, देनदारियों और दायित्वों का प्रावधान किया गया है।

उच्च न्यायालय उस व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें निचली अदालत के आदेश को चुनौती दी गई थी। निचली अदालत ने व्यक्ति को अपनी अलग रह रही पत्नी को 30,000 रुपये मासिक गुजारा भत्ता और 51,000 रुपये मुकदमे का खर्च देने का निर्देश दिया था।. उन्होंने कहा कि पहले निचली अदालत ने उनसे महिला को 21,000 रुपये मासिक भुगतान करने को कहा था, लेकिन बाद में परिस्थितियों में कोई बदलाव किए बिना इसे बढ़ाकर 30,000 रुपये कर दिया गया। व्यक्ति ने कहा कि उसे 47,000 रुपये का वेतन मिल रहा है और उसे अपने परिवार का भरण-पोषण करना है और उसके लिए प्रति माह 30,000 रुपये का भुगतान करना संभव नहीं होगा।

व्यक्ति ने दावा किया कि महिला यहां एक अस्पताल में काम करती थी और 25,000 रुपये मासिक कमाती थी। महिला ने हालांकि कहा कि वह केवल एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में काम कर रही थी और अस्पताल से कोई वेतन नहीं ले रही थी। इन दोनों ने 2018 में शादी की थी लेकिन उनके बीच मतभेद के कारण महिला जुलाई 2020 में अपने माता-पिता के घर लौट आई थी।

Location: India, Delhi, New Delhi

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