अदालत ने कहा, ‘‘यह अदालत अपीलकर्ता की सजा को निलंबित करना उचित समझती है।
New Delhi: दिल्ली उच्च न्यायालय ने मादक पदार्थ बरामदगी के एक मामले में जिम्बाब्वे की एक महिला की 10 साल की जेल की सजा निलंबित करते हुए कहा कि जब्त किए गए पदार्थ का नमूना लेने की प्रक्रिया का कथित तौर पर अनुपालन नहीं किया गया और आरोपी ने चार साल से अधिक समय की सजा काट ली है।
न्यायमूर्ति अनीश दयाल ने कहा कि स्वापक नियंत्रण ब्यूरो (एनसीबी) और वित्त मंत्रालय द्वारा जारी स्थायी आदेश का जांच एजेंसियों को सम्मान करना चाहिए और इन प्रावधानों के अनुपालन में कमी तर्कपूर्ण संदेह पैदा करती है जो आरोपी का दोष साबित करने पर भी असर डालेगी। अदालत ने आरोपी महिला की, एक निचली अदालत से उसे मिली सजा और दोषसिद्धि को चुनौती देने वाली अपील पर हाल में यह आदेश पारित किया।
अदालत ने कहा, ‘‘यह अदालत अपीलकर्ता की सजा को निलंबित करना उचित समझती है। अत: यह निर्देश दिया जाता है कि 1,00,000 रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि का सुरक्षा बॉन्ड भरने पर अपील पर सुनवाई लंबित रहने तक अपीलकर्ता की सजा निलंबित की जाए।’’ उसने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि जिन मामलों में उम्रकैद की सजा दी गयी है, उनके अलावा अन्य मामलों में वास्तविक सजा की 50 फीसदी की अवधि पूरी करने के आधार पर जमानत दी जा सकती है।
उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘अपीलकर्ता 38 वर्षीय महिला है जो जिम्बाब्वे की नागरिक है और उसने हिरासत में चार साल 11 महीने और 18 दिन की सजा काट ली है।’’
गौरतलब है कि एनसीबी के एक दल ने अपीलकर्ता बेट्टी रेम को इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पकड़ा था तथा उसके पास से तीन किलोग्राम के दो पैकेट बरामद किए गए थे जिसमें मेथमफेटामाइन था। अगस्त 2021 में उसे एनडीपीएस कानून के तहत दोषी पाया गया और उसे 10 साल की कैद की सजा दी गयी तथा उस पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया था।