डीडीए के वकील ने अदालत के सामने बयान दिया कि प्राधिकरण केवल आवासीय और वाणिज्यिक भूमि से अतिक्रमणकारियों को हटाना चाहता है।
New Delhi : दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने शुक्रवार को दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि वह महरौली पुरातत्व पार्क के अंदर या आसपास स्थित किसी मस्जिद या कब्रिस्तान को ध्वस्त नहीं कर रहा।
डीडीए के वकील ने अदालत के सामने बयान दिया कि प्राधिकरण केवल आवासीय और वाणिज्यिक भूमि से अतिक्रमणकारियों को हटाना चाहता है। डीडीए के वकील की दलीलों को ध्यान में रखते हुए मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा मांगी गई अंतरिम राहत के बिंदु पर कोई और आदेश पारित करने की आवश्यकता नहीं है।
उच्च न्यायालय दिल्ली वक्फ बोर्ड द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसमें इस तरह की ध्वस्तीकरण प्रक्रिया पर अंतरिम राहत की मांग की गई है।
दिल्ली वक्फ बोर्ड का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता संजय घोष ने अदालत से विध्वंस पर रोक लगाने का आग्रह किया क्योंकि उस क्षेत्र में बोर्ड की संपत्तियों को लेकर विवाद था जहां उनके सीमांकन की प्रक्रिया अभी तक पूरी नहीं हुई थी।
डीडीए की तरफ से पेश हुईं अधिवक्ता शोभना तकियार ने कहा कि सीमांकन हो चुका है और प्राधिकरण चाहता है कि कुछ अनधिकृत निर्माण हटाए जाएं। उन्होंने कहा कि पार्क में किसी भी धार्मिक ढांचे को “छुआ” नहीं गया था, केवल आवासीय और वाणिज्यिक अतिक्रमण हटाया जा रहा था। उच्च न्यायालय ने इस मामले में सुनवाई की अगली तारीख 21 अप्रैल 2023 तय की है।