यह विधेयक लोकसभा में पिछले साल दिसंबर में तत्कालीन विधि मंत्री किरेन रीजीजू ने पेश किया था।
नई दिल्ली - लोकसभा ने गुरुवार को 'निरसन और संशोधन विधेयक 2022' को मंजूरी दे दी, जिसके जरिए कई साल पुराने कानूनों को रद्द करने का प्रावधान किया गया है, जिसमें 138 साल पुराना एक कानून भी शामिल है।
सदन में विधेयक पर संक्षिप्त चर्चा के बाद इस विधेयक को ध्वनिमत से मंजूरी दी गई।
संक्षिप्त चर्चा का जवाब देते हुए विधि एवं न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि यह विधेयक ‘कारोबार सुगमता’ और लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के सरकार के सिद्धांत के अनुरूप है।
उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती संप्रग सरकार के समय इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया, जबकि इस सरकार में बड़ी संख्या में अनुपयोगी कानूनों को निरस्त किया गया है।
मेघवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार में निरस्त किए गए अनुपयोगी कानूनों की संख्या 1562 है, जबकि संप्रग सरकार में एक भी ऐसा अधिनियम निरस्त नहीं किया गया।
विधेयक पर चर्चा में भाग लेते हुए भारतीय जनता पार्टी के सांसद सुभाष बहेड़िया ने कहा कि यह विधेयक मोदी सरकार के मूल सिद्धांत ‘न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन’ के तहत लाया गया है।
यह विधेयक लोकसभा में पिछले साल दिसंबर में तत्कालीन विधि मंत्री किरेन रीजीजू ने पेश किया था।
इस विधेयक में भूमि अधिग्रहण (खनन) अधिनियम 1885 को भी निरस्त करने का प्रस्ताव किया गया है। विधेयक के माध्यम से टेलीग्राफ वायर्स (गैरकानूनी ढंग से रखने) संबंधी अधिनियम 1950 को भी निरस्त करने की बात कही गई है।