पुलिस ने कहा कि पहलवानों को जंतर-मंतर पर फिर से प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
New Delhi: दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को अपने रजिस्ट्रार जनरल, दिल्ली सरकार और पुलिस को यह तय करने के लिए नोटिस जारी किया कि कौन सी अदालत उस नाबालिग पहलवान की याचिका पर सुनवाई करेगी, जो भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाने वाली सात महिला पहलवानों में शामिल है।
यह मुद्दा ऐसे में उठा है जब नाबालिगों के साथ यौन अपराधों से संबंधित मामलों की सुनवाई ‘यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण’ (पॉक्सो) अधिनियम के तहत स्थापित एक विशेष अदालत द्वारा की जानी है। पॉक्सो मामलों की सुनवाई के लिए न्यायिक अधिकार क्षेत्र वाली अदालत पटियाला हाउस कोर्ट है। हालांकि, जन प्रतिनिधियों से संबंधित मामलों में सुनवाई एक विशेष सांसद/विधायक अदालत करती है जो राउज एवेन्यू अदालत परिसर में है।
महिला पहलवानों ने एक निचली अदालत के समक्ष याचिका दाखिल कर जांच पर निगरानी के लिए और कथित पीड़िताओं के बयान अदालत के समक्ष दर्ज कराने के लिए अनुरोध किया है। नाबालिग पहलवान ने भी ऐसी ही याचिका दायर की है।
अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट (एसीएमएम) हरजीत सिंह जसपाल ने बालिग पहलवानों की याचिका पर नोटिस जारी किये थे। एक सत्र न्यायाधीश ने नाबालिग के मामले को निर्णय के लिए उच्च न्यायालय भेजा।
न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा ने मंगलवार को रजिस्ट्रार जनरल, दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किये और उनसे याचिका पर जवाब देने को कहा। उन्होंने याचिका को छह जुलाई को अगली सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया। इस मामले में नाबालिग पहलवान की पैरवी वरिष्ठ अधिवक्ता नरेन्द्र हुड्डा कर रहे हैं।
पुलिस ने पहले निचली अदालत को सूचित किया था कि भाजपा सांसद बृज भूषण सिंह के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए एक विशेष जांच दल बनाया गया है। उसने निचली अदालत को यह भी बताया था कि सभी सातों पीड़ितों के बयान भादंस की धारा 164 के तहत एक मजिस्ट्रेट के समक्ष दर्ज किए गए हैं।
पहलवान भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी की मांग को लेकर 23 अप्रैल से जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर रहे थे। प्रदर्शनकारी पहलवानों ने बृजभूषण पर एक नाबालिग सहित कई महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है।
रविवार 28 मई को सुरक्षा बलों ने पहलवानों को नए संसद भवन के उद्घाटन के बीच उसकी ओर मार्च करने से रोकने की कोशिश की, जिसके कारण दोनों पक्षों के बीच हाथापाई हुई। विनेश फोगाट, साक्षी मलिक और बजरंग पूनिया समेत अन्य प्रदर्शनकारियों के खिलाफ दंगा करने और सरकारी कर्मचारियों के काम में बाधा पैदा करने के आरोप में मामला दर्ज किया गया। इसके बाद दिल्ली पुलिस ने जंतर-मंतर को खाली करा दिया, जहां पहलवान एक महीने से अधिक समय से धरने पर बैठे थे। पुलिस ने कहा कि पहलवानों को जंतर-मंतर पर फिर से प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
पुलिस ने बताया कि जंतर-मंतर पर तीनों पहलवानों समेत 109 प्रदर्शनकारियों सहित पूरी दिल्ली में 700 लोगों को हिरासत में लिया गया। हिरासत में ली गई महिलाओं को रविवार शाम को रिहा कर दिया गया।