अधिकारियों के अनुसार, संघर्ष में मरने वालों की संख्या बढ़कर 80 हो गई है।
इंफाल : हिंसा प्रभावित मणिपुर में शांति बहाल करने के उद्देश्य से राज्य की यात्रा पर आए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को कई पक्षकारों के साथ विचार-विमर्श किया, जिसकी शुरुआत उन्होंने महिला नेताओं के एक समूह के साथ नाश्ते पर हुई बैठक के साथ की। गृह मंत्री ने लोगों तक पहुंच बनाने की अपनी मुहिम के तहत नागरिक संगठनों के प्रतिनिधिमंडल के साथ भी बैठक की।
शाह ने ट्वीट किया, ‘‘मणिपुर में महिला नेताओं (मीरा पैबी) के समूह के साथ बैठक की। मणिपुर के समाज में महिलाओं की भूमिका के महत्व को दोहराया। साथ मिलकर, हम राज्य में शांति एवं खुशहाली बहाल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।’’ एक अलग ट्वीट में, शाह ने कहा, ‘‘आज इंफाल में विभिन्न नागरिक संगठनों के सदस्यों के साथ सार्थक चर्चा हुई। उन्होंने शांति के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की और आश्वासन दिया कि हम साथ मिलकर मणिपुर में सामान्य स्थिति बहाल करने का मार्ग प्रशस्त करने में योगदान देंगे।’’
गृह मंत्रालय के एक प्रवक्ता के अनुसार मंगलवार सुबह इंफाल में हुई बैठक में गणमान्य व्यक्तियों ने शांति के लिए अपनी प्रतिबद्धता का आश्वासन दिया और यह भी कहा कि वे राज्य में शांति बहाल करने की दिशा में काम करेंगे।
शाह सोमवार से मणिपुर की चार दिन की यात्रा पर हैं और इस दौरान वह हालात का जायजा लेने के लिए कई दौर की सुरक्षा बैठकें करेंगे और सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए आगे के कदमों पर विचार करेंगे। सोमवार रात को इंफाल पहुंचने के बाद गृह मंत्री ने मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह, उनके मंत्रिमंडल सहयोगियों और कुछ नेताओं के साथ बैठक की थी। मणिपुर में तीन मई को जातीय हिंसा भड़कने के बाद से गृह मंत्री की राज्य की यह पहली यात्रा है।
मणिपुर करीब एक महीने से जातीय हिंसा से प्रभावित है और राज्य में इस दौरान झड़पों में इजाफा देखा गया है। कुछ हफ्तों की खामोशी के बाद रविवार को सुरक्षा बलों एवं उग्रवादियों के बीच गोलीबारी भी हुई।
अधिकारियों के अनुसार, संघर्ष में मरने वालों की संख्या बढ़कर 80 हो गई है।
मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) के दर्जे की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद मणिपुर में जातीय हिंसा शुरू हो गई। आरक्षित वन भूमि से कूकी ग्रामीणों को बेदखल करने को लेकर तनाव के चलते, पहले भी हिंसा हुई थी, जिसके कारण कई छोटे-छोटे आंदोलन हुए थे।