कांग्रेस नेता ने दावा किया, ‘‘इनका नारा था कि ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ।’ अब नारा ‘बेटी भाजपा के नेताओं से बचाओ’ हो गया है।’’
New Delhi: कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी की मांग कर रहे पहलवानों द्वारा अपने पदक गंगा में प्रवाहित करने की घोषणा को लेकर बुधवार को कहा कि देश को इस बात का दुख है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इन पहलवानों से यह कदम नहीं उठाने की अपील कर सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।
पार्टी सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के किसी भी नेता की ओर से इस तरह की अपील नहीं किया जाना अहंकार है। हुड्डा ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘अपने प्राण समान पदक को लेकर हमारी बेटियां और खिलाड़ी कल हरिद्वार पहुंचे थे। सोचिए उनके मन में कितना दुख और टीस रही होगी। इस असंवेदनशील, निर्दयी और जुल्मी सरकार ने देश की बेटियों को ऐसा सोचने पर मजबूर किया।’’
कांग्रेस नेता ने दावा किया, ‘‘इनका नारा था कि ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ।’ अब नारा ‘बेटी भाजपा के नेताओं से बचाओ’ हो गया है।’’
उन्होंने सवाल किया, ‘‘भाजपा समान नागरिक संहिता की बात करती है। क्या देश में भाजपा के नेताओं के लिए अलग कानून है? क्या कारण है कि भाजपा सांसद के खिलाफ इतने गंभीर आरोप लगे हैं, फिर भी पूरी सरकार और भाजपा उसे बचाने में लगी है?’’
हुड्डा ने कहा, ‘‘आरोपी सांसद का कहना है कि पदक 15 रुपये में मिल जाते हैं। अगर ऐसा है तो देश और कांग्रेस पार्टी पैसे दे देगी, वह (बृजभूषण शरण सिंह) ओलंपिक पदक खरीदकर दिखाएं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘देश के दिल में बहुत दर्द है कि प्रधानमंत्री ने यह अपील करना उचित नहीं समझा कि निष्पक्ष जांच होगी और न्याय मिलेगा, इसलिए आप लोग पदक गंगा में मत बहाइए, आप देश की बेटी हो। मगर इतने भी शब्द प्रधानमंत्री, खेल मंत्री या भाजपा के किसी नेता की तरफ से नहीं आए। यह अहंकार है।’’
मुक्केबाज विजेंद्र ने कहा कि अगर आज कांग्रेस की सरकार होती तो आरोपी के खिलाफ तत्काल कार्रवाई होती और फिर महिला पहलवानों को बुलाकर उनसे बात की जाती, लेकिन इस सरकार में ऐसा नहीं हो रहा।
कल नाटकीय घटनाक्रम के तहत साक्षी मलिक, विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया सहित देश के शीर्ष पहलवान मंगलवार को गंगा नदी में अपने ओलंपिक और विश्व पदक विसर्जित करने सैकड़ों समर्थकों के साथ हरिद्वार पहुंचे लेकिन खाप और किसान नेताओं के समझाने बुझाने पर उन्होंने अपना फैसला टाल दिया । हालांकि अपनी मांगे मानने के लिये पांच दिन का समय दिया है।