भाजपा ने अभिनेत्री कंगना रनौत को मंडी से और बसपा ने रेखा रानी को कांगड़ा से चुनाव मैदान में उतारा है।
Himachal Pradesh News: पिछले 72 सालों में हिमाचल प्रदेश से महज तीन महिलाएं ही लोकसभा पहुंच पाई हैं तथा इस बार भी चुनाव मैदान में महज दो महिला प्रत्याशी ही हैं। राज्य में कुल मतदाताओं में से करीब 49 प्रतिशत महिलाएं हैं। अब तक लोकसभा पहुंचने में सफल रहीं तीन प्रत्याशी राजकुमारी अमृत कौर, चंद्रेश कुमारी और प्रतिभा सिंह राजपरिवारों से हैं।
इस बार, केवल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने राज्य में चार लोकसभा सीटों पर एक जून को होने वाले चुनाव के लिए महिलाओं को उम्मीदवार बनाया है। भाजपा ने अभिनेत्री कंगना रनौत को मंडी से और बसपा ने रेखा रानी को कांगड़ा से चुनाव मैदान में उतारा है।
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग के प्रमुख रमेश चौहान ने कहा, ‘‘ सामान्य पृष्ठभूमि की महिलाओं द्वारा राजनीति में ऊंचाई पर पहुंचना और अपने लिए एक जगह बना पाना अब भी देश में एक बड़ी चुनौती है तथा हिमाचल प्रदेश कोई अपवाद नहीं है। फिलहाल राज्य में कुल मतदाताओं में से 49 प्रतिशत मतदाता महिला हैं लेकिन प्रतिनिधित्व एक चौथाई भी नहीं है और यह गंभीर चिंता का विषय है।’’
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चौहान ने कहा कि राजनीति में जो मायने रखता है वह यह है किसके पास निर्णय लेने की ताकत है। आम तौर पर यह ताकत पुरूषों के पास होती है लेकिन, जबतक महिलाओं को अहम पद नहीं दिए जाते हैं तबतक वे ‘सशक्त’ होकर नहीं उभरेंगी और अपने वर्चस्वशील पुरूष समकक्षों से आगे नहीं निकल पाएंंगी।
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान का अध्यापन करने वाले कमल मनोहर शर्मा का कहना है कि राज्य में महिलाओं का दर्जा ऊंचा रहा है और महिलाओं के लिए आरक्षण लाये जाने से पहले ही मंडी, किन्नौर और कांगड़ा जिलों में महिला प्रधान निर्वाचित हुई हैं। उन्होंने कहा कि लेकिन महिलाएं विधानसभा जाने की भी इच्छुक नहीं हैं। उन्होंने कहा कि इसके अलावा राजनीतिक दलों ने भी सामान्य पृष्ठभूमि की महिलाओं को प्रोत्साहित नहीं किया।
राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि राजनीतिक दल महिला मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए हर तरह की चेष्टा तो करते हैं लेकिन जब उम्मीदवारी की घोषणा की बारी आती है तो महिलाओं को बहुत ही कम अवसर मिलते हैं।
राज्य में एक जून को लोकसभा चुनाव के सातवें एवं आखिरी चरण के मतदान में हमीरपुर, कांगड़ा, मंडी और शिमला (अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित) सीटों पर कुल 56,38,422 मतदाता हैं जिनमें 28,79,200 पुरूष, 27,59,187 महिलाएं एवं 35 तृतीय लिंगी हैं। भारत की पहली स्वास्थ्य मंत्री अमृत कौर 1952 में मंडी निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा के लिए निर्वाचित हुई थीं। वह कपूरथला राजपरिवार से थीं। उनके बाद 1984 तक किसी महिला को टिकट नहीं मिला।
हालांकि 1984 में चंद्रेश कुमारी को कांग्रेस ने कांगड़ा से चुनाव मैदान में उतारा और वह चुनाव जीत गयीं। वह जोधपुर राजपरिवार से थीं और उनकी हिमाचल प्रदेश में शादी हुई थी। पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह ने 1998 में लोकसभा चुनाव लड़ा था लेकिन हार गयी थीं। उसके बाद वह 2004 में चुनाव जीत गयीं। तब उनके पति वीरभद्र सिंह मुख्यमंत्री थे। वीरभद्र सिंह 2009 में मंडी लोकसभा सीट से जीत कर संसद पहुंचे लेकिन 2012 में मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्हें सांसद पद छोड़ना पड़ा। तब प्रतिभा सिंह 2013 में उपचुनाव जीतीं। वह नवंबर, 2021 में भी उपचुनाव जीतीं।
प्रतिभा सिंह ने 2014 में फिर से लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन भाजपा के राम स्वरूप से हार गईं, जो 2019 में फिर से चुने गए। लेकिन मार्च 2021 में राम स्वरूप के निधन के बाद यह सीट खाली हो गई। वीरभद्र सिंह के निधन के बाद नवंबर 2021 में हुए उपचुनाव में प्रतिभा सिंह ने तीसरी बार इस सीट से जीत हासिल की।
आम आदमी पार्टी (आप) ने 2014 में करगिल युद्ध के नायक कैप्टन विक्रम बत्रा की मां कमलकांता बत्रा को हमीरपुर से चुनाव मैदान में उतारा, लेकिन उन्हें केवल 15,329 वोट मिले और वह हार गईं। यहां तक कि 68 सदस्यीय राज्य विधानसभा में भी महिलाओं का प्रतिनिधित्व बेहद कम रहा है और 1967 तक कोई भी महिला निर्वाचित नहीं हुई थी। 1977 और 2022 में केवल एक-एक महिला विधानसभा में पहुंची। हालांकि, 1998 के चुनावों में सबसे ज्यादा सात महिलाएं राज्य विधानसभा के लिए चुनी गईं। अब तक राज्य से आठ महिलाएं राज्यसभा के लिए चुनी गई हैं।
(For more news apart from Himachal Pradesh Till now only three women reach Lok Sabha from the state, this time too only two women are in the fray, stay tuned to Rozana Spokesman Hindi)