उन्होंने कहा, ‘‘पेंशन आत्मसम्मान देती है क्योंकि इसकी वजह से माता-पिता बच्चों पर आश्रित नहीं रहते। मेरी मां अपने बच्चों पर आश्रित नहीं हैं क्योंकि...
शिमला : हिमाचल प्रदेश के मंत्रिमंडल की पहली बैठक शुक्रवार को होगी जिसमें पुरानी पेंशन योजना की बहाली पर निर्णय लिया जा सकता है।
कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान यह वादा किया था।
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बृहस्पतिवार को राज्य सचिवालय में कर्मचारियों को दिये भाषण में कहा, ‘‘हम वोटों के लिए पुरानी पेंशन योजना को बहाल नहीं कर रहे, बल्कि हिमाचल के विकास में इतिहास रचने वाले कर्मचारियों की सामाजिक सुरक्षा और उनके आत्मसम्मान के संरक्षण के लिए ऐसा कर रहे हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘पेंशन आत्मसम्मान देती है क्योंकि इसकी वजह से माता-पिता बच्चों पर आश्रित नहीं रहते। मेरी मां अपने बच्चों पर आश्रित नहीं हैं क्योंकि मेरे पिता की पेंशन से उनकी जरुरतें पूरी होती हैं।’’
सुक्खू ने कहा, ‘‘सरकार कर्मचारियों के सेवानिवृत्त होने के बाद उन्हें सम्मानपूर्वक जीवन प्रदान करने की दिशा में काम करेगी।’’ उन्होंने कहा कि इस विषय का गहन अध्ययन किया गया है और वित्तीय अधिकारियों की कुछ आपत्तियों के बावजूद मुद्दे का समाधान निकाल लिया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि नयी पेंशन योजना के तहत शामिल सभी कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना के दायरे में लाया जाएगा।
सरकारी सेवा में एक जनवरी, 2004 से आने वाले कर्मियों को नयी पेंशन योजना के दायरे में रखा जाता है, जिसमें सरकार और कर्मचारी पेंशन निधि में क्रमश: 10 और 14 प्रतिशत योगदान देते हैं। पुरानी पेंशन योजना में 20 साल दे चुके कर्मचारियों को पेंशन के रूप में उनके आखिरी वेतन का 50 प्रतिशत मिलता है।
नई पेंशन योजना कर्मचारी संघ-हिमाचल के प्रमुख प्रदीप ठाकुर ने कहा, ‘‘हमें पूरा विश्वास है कि 2004 के बाद सरकारी सेवा में आने वाले कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना को बहाल किया जाएगा और मुख्यमंत्री शुक्रवार को कैबिनेट की पहली बैठक में इस संबंध में फैसला कर सकते हैं।’