हिमाचल प्रदेश में पिछले दो साल में छह गुना बढ़े भूस्खलन के मामले : आपदा प्रबंधन विभाग

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हिमाचल प्रदेश में पिछले दो साल में छह गुना बढ़े भूस्खलन के मामले : आपदा प्रबंधन विभाग
Published : Mar 12, 2023, 4:34 pm IST
Updated : Mar 12, 2023, 4:34 pm IST
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Landslide cases have increased six times in the last two years in Himachal Pradesh (प्रतिकात्मक फोटो)
Landslide cases have increased six times in the last two years in Himachal Pradesh (प्रतिकात्मक फोटो)

विभाग के मुताबिक, राज्य में 17,120 भूस्खलन संभावित स्थल हैं जिनमें से 675 स्थल महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचों और बस्तियों के पास हैं।

शिमला :  हिमाचल प्रदेश में पिछले दो वर्षों में भूस्खलन के मामलों में छह गुना वृद्धि दर्ज की गई है। आपदा प्रबंधन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, राज्य में वर्ष 2020 में भूस्खलन के महज 16 मामले दर्ज किए गए थे। जबकि 2022 में यह मामले छह गुना बढ़कर 117 हो गए।

विभाग के मुताबिक, राज्य में 17,120 भूस्खलन संभावित स्थल हैं जिनमें से 675 स्थल महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचों और बस्तियों के पास हैं। ये स्थल चंबा (133), मंडी (110), कांगड़ा (102), लाहौल और स्पीति (91), ऊना (63), कुल्लू (55), शिमला (50), सोलन (44), बिलासपुर (37), सिरमौर (21) और किन्नौर (15) में स्थित है। विशेषज्ञों का मानना है कि पहाड़ी ढलानों या तलहटी में चट्टानों के कटाव के साथ तेज बारिश भूस्खलन के कारणों की प्रमुख वजह है।

भूवैज्ञानिक विशेषज्ञ प्रोफेसर वीरेंद्र सिंह धर ने सड़कों के निर्माण और चौड़ीकरण के लिए पहाड़ी ढलानों की व्यापक कटाई, सुरंगों , जलविद्युत परियोजनाओं और खनन के लिए विस्फोट को भूस्खलन में वृद्धि का कारण बताया है।

पिछले साल राज्य में भूस्खलन के 117 मामलों में कुल्लू सबसे अधिक प्रभावित रहा। यहां, भूस्खलन के 21 मामले सामने आए। जबिक, मंडी (20), लाहौल और स्पीति (18), शिमला (15), सिरमौर (9), बिलासपुर (8), कांगड़ा (5), किन्नौर (3), सोलन (3) और ऊना (1) मामले दर्ज किए गए। वहीं, हमीरपुर में कोई मामला दर्ज नहीं किया गया।

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हाल ही में कहा कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) राज्य में सड़कों के विस्तार के कारण होने वाले भूस्खलन को कम करने और रोकने के उपायों पर सुझाव के लिए अवधारणा पत्र पेश करेगा और जरूरी उपायों पर 300 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।

वहीं, नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर, इसरो द्वारा तैयार किए गए लैंडस्लाइड एटलस ऑफ इंडिया के अनुसार, हिमाचल के सभी 12 जिले भूस्खलन के लिए अतिसंवेदनशील हैं।

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