राज्य में 1,034 दिन तक बलात्कार के कुल 1,123 मामले दर्ज किए गए, जिसका अर्थ है कि राज्य में हर दिन बलात्कार का एक मामला दर्ज किया जाता है।
शिमला : पिछले तीन वर्षों में हिमाचल प्रदेश में दर्ज बलात्कार के कुल 1,123 मामलों में से 48.5 प्रतिशत मामलों में आरोपी रिश्तेदार हैं। राज्य पुलिस विभाग से प्राप्त आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है। आंकड़ों के अनुसार, कुल 545 मामलों में रिश्तेदार-पिता/सौतेले पिता 10 प्रतिशत, चचेरे भाई छह प्रतिशत, दादा 1.4 प्रतिशत, चाचा 6.6 प्रतिशत और अन्य रिश्तेदार 75.7 प्रतिशत मामलों में आरोपी थे।
राज्य में जनवरी 2020 से अक्टूबर 2022 (1,034 दिन) तक बलात्कार के कुल 1,123 मामले दर्ज किए गए, जिसका अर्थ है कि राज्य में हर दिन औसतन बलात्कार का एक मामला दर्ज किया जाता है। इनमें से 48.5 प्रतिशत बलात्कार परिचित व्यक्तियों (रिश्तेदारों) द्वारा किए गए, 27.1 प्रतिशत दोस्ती के दौरान, 16.5 प्रतिशत शादी का झूठा वादा करके, तीन प्रतिशत ‘लिव इन रिलेशनशिप’ के दौरान और 4.6 प्रतिशत अज्ञात व्यक्तियों द्वारा किए गए।
हिमाचल प्रदेश राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण (एचपीएसएमएचए) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी संजय पाठक ने बताया, ‘‘बलात्कार के मामलों में रिश्तेदारों का शामिल होना मानसिक बीमारी की ओर इशारा करता है। विशेष रूप से किशोरावस्था में मोबाइल के माध्यम से अश्लील सामग्री तक आसान पहुंच भी इस तरह के कृत्यों की ओर ले जाती है।’’
उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि आमतौर पर आरोपी अपने परिचित लोगों को निशाना बनाते हैं और उन्हें ऐसा लगता है कि पीड़ित शिकायत नहीं करेंगे या उन्हें शिकायत नहीं करने के लिए मनाया जा सकता है।
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, राज्य में बार-बार अपराध करने वाले लगभग 55 यौन अपराधी हैं और वर्तमान में हिमाचल प्रदेश की 14 जेलों में बंद कुल कैदियों में से 553 (18.6 प्रतिशत) पर महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले दर्ज हैं।
अधिकारियों ने बताया कि पुलिस विभाग ने शिकायत निवारण के लिए महिला हेल्प डेस्क संख्या 1091 स्थापित की है, लाहौल-स्पीति और किन्नौर को छोड़कर राज्य के सभी जिलों में महिला थानों में कामकाज शुरू हो गया है।
उन्होंने बताया कि विभाग ने सीसीटीवी लगाने के अलावा महिलाओं के खिलाफ अपराध का मुकाबला करने के लिए राज्य भर में ‘‘वीरांगना ऑन व्हील्स’’ योजना भी शुरू की है। पुलिस ने बताया कि इस तरह के अपराध को कम करने के लिए पंचायती राज संस्था और संवेदनशील शिक्षण संस्थानों के तत्वावधान में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने की बहुत जरूरत है।
पुलिस ने कहा कि समाज में जागरूकता बढ़ाने के लिए नागरिक समूहों और गैर सरकारी संगठनों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।