पुलिस द्वारा चौकी में पूछताछ के दौरान प्रताड़ित किए जाने की वजह से किसान की मौत हुई है।
कानपुर (उप्र): कानपुर जिले में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) कानून से जुड़े एक मामले में पूछताछ के लिए हनुमंत विहार पुलिस चौकी लाये गए 42 वर्षीय किसान की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई है। मृतक किसान के परिवार ने आरोप लगाया कि पुलिस द्वारा चौकी में पूछताछ के दौरान प्रताड़ित किए जाने की वजह से किसान की मौत हुई है।
वहीं, पुलिस ने इससे इनकार करते हुए कहा है कि ऐसा प्रतीत होता है कि हृदय गति रुकने से किसान की मौत हुई है। पुलिस उपायुक्त (दक्षिण) रवींद्र कुमार ने बृहस्पतिवार को बताया कि बिधनू निवासी दिनेश सिंह भदौरिया (42) को बुधवार को एससी/एसटी कानून से जुड़े एक मामले में पूछताछ के लिए हनुमंत विहार पुलिस चौकी पर बुलाया गया था। पूछताछ के बाद उसे छोड़ दिया गया था।
उन्होंने बताया कि भदौरिया घर जा रहा था तभी उसे सीने में दर्द की शिकायत हुई। उसे अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। सहायक पुलिस उपायुक्त (दक्षिण) अंकिता शर्मा ने कहा, ‘‘सीसीटीवी फुटेज की गहनता से जांच की गई है और इसमें कुछ भी आपत्तिजनक नहीं मिला या पीड़ित के साथ किसी तरह के दुर्व्यवहार की बात सामने नहीं आयी है।"
उन्होंने कहा कि परिस्थितियों से पता चलता है कि भदौरिया को दिल का दौरा पड़ा जिसकी वजह से उसकी मौत हो गई।
हालांकि, पीड़ित परिवार के सदस्यों ने पुलिस के इस दावे को गलत बताया है। उन्होंने कहा कि भदौरिया को दिल की कोई बीमारी नहीं थी और पुलिस दोषियों को बचाने के लिए मनगढ़ंत कहानी बना रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस चौकी प्रभारी अशोक और वहां कुछ लोगों के साथ मौजूद एक महिला ने भदौरिया को प्रताड़ित किया और धमकाया।
संयुक्त पुलिस आयुक्त (कानून-व्यवस्था) आनंद प्रकाश तिवारी ने पोस्टमार्टम कराने और पीड़ित परिवार द्वारा लिखित शिकायत देने पर संबंधित धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज करने का निर्देश दिया है।
उन्होंने कहा, ‘‘आरोपों की जांच की जाएगी और उसके अनुसार कार्रवाई की जाएगी।" एक अधिकारी ने बताया कि किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए क्षेत्र में बड़े पैमाने पर पुलिस बल तैनात किया गया है। सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) सहित वरिष्ठ अधिकारियों को भी मामले पर कड़ी नजर रखने के लिए क्षेत्र में डेरा डालने के लिए कहा गया है।