प्रियंका गांधी को मोदी के खिलाफ वाराणसी से चुनाव लड़ाने का प्रस्ताव शीर्ष नेतृत्व को भेजेगी उप्र कांग्रेस : अजय राय

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प्रियंका गांधी को मोदी के खिलाफ वाराणसी से चुनाव लड़ाने का प्रस्ताव शीर्ष नेतृत्व को भेजेगी उप्र कांग्रेस : अजय राय
Published : Aug 27, 2023, 3:45 pm IST
Updated : Aug 27, 2023, 3:45 pm IST
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UP Congress will send proposal to top leadership of Priyanka Gandhi to contest from Varanasi against Modi: Ajay Rai
UP Congress will send proposal to top leadership of Priyanka Gandhi to contest from Varanasi against Modi: Ajay Rai

उन्होंने कहा, "वैसे प्रियंका गांधी जिस सीट से चुनाव लड़ना चाहें, लड़ सकती हैं।

लखनऊ:  उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अजय राय का कहना है कि प्रदेश इकाई पार्टी नेता प्रियंका गांधी वाड्रा को वाराणसी से चुनाव लड़ाने की इच्छुक है और वह इसके लिए जल्द ही पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को एक प्रस्ताव भेजेगी।

राय ने कहा कि उत्तर प्रदेश में भी विपक्ष को कांग्रेस के नेतृत्व में ही अगला लोकसभा चुनाव लड़ना चाहिए, क्योंकि राष्ट्रीय स्तर के चुनाव में लोग भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का विकल्प खोजेंगे, जो निश्चित रूप से कांग्रेस ही है। हाल ही में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का पद संभालने वाले राय ने रविवार को 'पीटीआई-भाषा' से बातचीत में कहा, "हम चाहते हैं कि प्रियंका जी बनारस से लोकसभा चुनाव लड़ें। इसके लिए हम पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को जल्द ही एक प्रस्ताव भेजेंगे।"

उन्होंने कहा, "वैसे प्रियंका गांधी जिस सीट से चुनाव लड़ना चाहें, लड़ सकती हैं। हम पूरी ताकत लगाकर उन्हें चुनाव जिताएंगे, लेकिन हमारी ख्वाहिश है कि वह वाराणसी से मैदान में उतरें।" वाराणसी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का संसदीय क्षेत्र है। वह वर्ष 2019 में लगातार दूसरी बार वाराणसी से लोकसभा सांसद निर्वाचित हुए थे। उनके 2024 में भी वाराणसी से ही चुनाव लड़ने की प्रबल संभावना है।

प्रियंका को मोदी के मुकाबले खड़ा करने की इच्छा से कांग्रेस क्या संदेश देना चाहती है, इस बारे में पूछे जाने पर राय ने कहा, "बस यही संदेश देने की कोशिश है कि उनके (मोदी) सामने कोई मजबूती से खड़ा हुआ है।"

वाराणसी लोकसभा क्षेत्र पिछले तीन दशक से भी ज्यादा समय से भाजपा का गढ़ बना हुआ है। हालांकि, वर्ष 2004 में यह सीट एक बार कांग्रेस के पास गई थी। वर्ष 1991, 1996, 1998 और 1999 के लोकसभा चुनावों तथा मध्यावधि चुनावों में वाराणसी सीट पर भाजपा को जीत हासिल हुई थी। इसके बाद वर्ष 2004 में कांग्रेस के राजेश कुमार मिश्रा इस सीट से सांसद निर्वाचित हुए, लेकिन वर्ष 2009 में मुरली मनोहर जोशी ने कांग्रेस से यह सीट छीन ली। उसके बाद वर्ष 2014 और 2019 में नरेन्द्र मोदी वाराणसी से लोकसभा सांसद चुने गए।

प्रदेश कांग्रेस के मौजूदा अध्यक्ष अजय राय (53) वर्ष 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में वाराणसी में कांग्रेस के टिकट पर मोदी को चुनौती दे चुके हैं। 2014 के चुनाव में उन्हें 75,614 वोट मिले थे, जबकि 2019 में उन्हें 1,52,548 मत हासिल हुए थे। वह इससे पहले वर्ष 2009 में इसी सीट से समाजवादी पार्टी (सपा) के टिकट पर मैदान में उतरे थे और तब उन्हें 1,23,874 वोट प्राप्त हुए थे। बाहुबली की छवि रखने वाले अजय राय पांच बार विधायक भी रह चुके हैं।

अमेठी से पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के चुनाव लड़ने की संभावनाओं के बारे में राय ने कहा, "अमेठी की जनता खुद मांग कर रही है कि राहुल जी इसी सीट से चुनाव लड़ें। जनता भाजपा सांसद स्मृति ईरानी की वादाखिलाफियों और कार्यप्रणाली से बेहद नाराज है। वह अब राहुल को एक बार फिर अपने सांसद के रूप में देखना चाहती है।"

यह पूछे जाने पर कि उत्तर प्रदेश में विपक्षी दलों के गठबंधन 'इंडिया' (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस) का कैसा स्वरूप होगा और क्या ममता बनर्जी के फॉर्मूले के अनुरूप राज्य में मुख्य विपक्षी दल सपा की अगुवाई में लोकसभा चुनाव लड़ा जाएगा, राय ने कहा, "देखिए यह राष्ट्रीय स्तर का चुनाव है और इस स्तर पर तो लोग भाजपा का विकल्प तलाशेंगे, जो स्वाभाविक रूप से कांग्रेस ही है। लिहाजा उत्तर प्रदेश में भी कांग्रेस के नेतृत्व में लोकसभा चुनाव लड़ा जाएगा, ऐसा मुझे पूरा विश्वास है। हालांकि, इस बारे में अंतिम निर्णय लेना केंद्रीय नेतृत्व का काम है।".

उत्तर प्रदेश में पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की सक्रियता में कमी आने से इनकार करते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा की राजनीतिक लिहाज से सबसे महत्वपूर्ण यह राज्य हमेशा से ही कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व की प्राथमिकता में रहा है। उन्होंने कहा कि जल्द ही प्रदेश में राहुल, प्रियंका और सोनिया गांधी की भी सक्रियता बढ़ेगी।

उत्तर प्रदेश में जातीय समीकरणों की राजनीति हावी होने की स्थिति में कांग्रेस के सामने कौन-सी चुनौतियां होंगी, इस बारे में पूछे जाने पर राय ने कहा, "कांग्रेस ने कभी जाति-धर्म की राजनीति नहीं की। उसने हमेशा मुद्दों की सियासत पर ही जोर दिया है। हम अगले लोकसभा चुनाव में बेरोजगारी, महंगाई और भ्रष्टाचार जैसे बुनियादी मुद्दों को लेकर जनता के बीच जाएंगे।"

उन्होंने दावा किया, "देश में सांप्रदायिकता की सियासत धीरे-धीरे अपना असर खो रही है। लोग बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी से परेशान हैं। भाजपा इससे घबराई हुई है। उसके शीर्ष नेतृत्व के बयानों से उसकी छटपटाहट जाहिर हो रही है।"

प्रदेश अध्यक्ष के रूप में अपने सामने मौजूद प्रमुख चुनौतियों के बारे में पूछे जाने पर राय ने कहा, "हाल के वर्षों में पार्टी संगठन में कुछ खामियां पैदा हुई थीं, लेकिन उन्हें अब पूरी तरह से ठीक किया जाएगा और युवा के साथ-साथ वरिष्ठ नेताओं को भी साथ लेकर कांग्रेस चुनाव मैदान में पूरी मेहनत के साथ उतरेगी।"

कांग्रेस पिछले तीन दशक से भी ज्यादा समय से उत्तर प्रदेश की सत्ता से दूर है। वर्ष 1985 में कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में आखिरी बार सरकार बनाई थी। देश को 80 सांसद देने वाले और राजनीतिक लिहाज से सबसे महत्वपूर्ण राज्य उत्तर प्रदेश में वर्तमान में कांग्रेस के पास सोनिया गांधी (रायबरेली) के रूप में सिर्फ एक सांसद है। पिछले साल हुए राज्य विधानसभा चुनाव में कांग्रेस अपना सबसे खराब प्रदर्शन करते हुए मात्र दो सीटों पर सिमट गई थी।

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