उन्होंने बताया कि खांसी के विश्लेषण से दो उद्देश्य सिद्ध होते हैं - कोविड का जल्दी पता लगाना और संक्रमण के प्रसार की दूरस्थ निगरानी।
New Delhi: अनुसंधानकर्ताओं का कहना है कि खांसी की आवाज का विश्लेषण जल्द ही कोविड-19 मरीजों में संक्रमण की गंभीरता का पता लगाने में मदद कर सकता है। स्पेन के बार्सीलोना स्थित ‘इंस्टीट्यूट ऑफ बायोइंजीनियरिंग ऑफ कैटालोनिया’ (आईबीईसी) की अगुवाई में एक अनुसंधान दल ने श्वसन स्थिति में गंभीरता के आधार पर खांसी की आवाज में अंतर देखा।
उन्होंने ‘यूरोपियन रेस्पिरेटरी जर्नल ओपन रिसर्च’ में प्रकाशित अपने अध्ययन में कहा कि नतीजों से संकेत मिलता है कि खांसी की जांच करने से कोविड मरीजों में संक्रमण को हल्का, मध्यम या गंभीर श्रेणी में विभाजित करने में मदद मिल सकती है।
अध्ययन के लिए अस्पताल में भर्ती होने के शुरुआती 24 घंटे में सार्स-सीओवी2 संक्रमण के 70 मरीजों की खांसी की आवाज स्मार्टफोन में रिकॉर्ड की गयी। अध्ययन के सह-लेखक और आईबीईसी में प्रधान जांचकर्ता रैमन जेन ने बताया कि पूर्व के अध्ययनों में श्वसन रोगों का पता लगाने के लिए खांसी ध्वनि विज्ञान की मदद ली गई तथा खांसी की आवाज का विश्लेषण किया गया। उनके मुताबिक, अध्ययन में ‘‘खासतौर से कोविड-19 मरीजों में निमोनिया की गंभीरता के विभिन्न स्तरों और खांसी की ध्वनि के बीच संबंध की पड़ताल की गयी।’’
उन्होंने बताया कि खांसी के विश्लेषण से दो उद्देश्य सिद्ध होते हैं - कोविड का जल्दी पता लगाना और संक्रमण के प्रसार की दूरस्थ निगरानी। अध्ययन के वरिष्ठ सह-लेखक और हॉस्पिटल डेल मार में अनुसंधानकर्ता जोआकिम गेया ने बताया कि आपात स्थितियों और सीमित चिकित्सा बुनियादी ढांचे वाले क्षेत्रों में यह पद्धति कोविड मरीजों की पहचान करने तथा उन्हें पृथक करने में उपयोगी साबित हो सकती है।