जिला प्रशासन के अनुसार, अवैध कब्जे से मुक्त करायी गई इन दोनों नदियों की जमीनों की कीमत करीब 300 करोड़ रुपये आंकी गई है।.
शाहजहांपुर (उत्तर प्रदेश): जिला प्रशासन ने गंगा और रामगंगा नदियों की जमीन पर 70 साल पुराने अवैध कब्जे को हटवाकर उसे खाली करा लिया है। जिला प्रशासन के अनुसार, अवैध कब्जे से मुक्त करायी गई इन दोनों नदियों की जमीनों की कीमत करीब 300 करोड़ रुपये आंकी गई है।
जिलाधिकारी उमेश प्रताप सिंह ने शुक्रवार को पीटीआई/भाषा को बताया कि उनके संज्ञान में आया था कि जलालाबाद तथा कलान तहसील से होकर बहने वाली गंगा और रामगंगा नदियों के नाम पर दर्ज जमीन को भू माफियाओं ने राजस्व के अधिकारियों तथा कर्मचारियों की मिलीभगत से 1952 में अपने नाम करवा लिया और उस पर खेती करने लगे।
उन्होंने बताया कि मामले की जांच अपर जिलाधिकारी (न्यायिक) राशिद अली को सौंपी गयी जिसमें पता चला कि गंगा नदी 6,312 बीघा जलमग्न जमीन पर बहती थी और वह जमीन गंगा तथा रामगंगा नदियों के नाम पर थी। उसमें पता चला कि भू-माफियाओं ने राजस्व कर्मचारियों की मिली-भगत से जलमग्न जमीन को अपने नाम करवा लिया।.
सिंह ने बताया कि बाद में कटाव के बाद गंगा नदी की धार दूसरी ओर चली गई और 1952 में जलमग्न रही जमीन अब उपजाऊ दियरा हो गई जिसपर अवैध कब्जा करने वालों ने खेती शुरू कर दी। उन्होंने बताया कि कुछ लोगों ने इस जमीन पर बैंक से ऋण भी ले लिया।. जिलाधिकारी ने बताया कि इस अवैध कब्जे के कारण नदी का पाट बहुत संकरा हो गया।.
उन्होंने बताया कि कलान तहसील के ग्राम सुखनैया, चतुआपुर, शिवपुरी, खादर, तथा चिरौला मड़ैया के अलावा जलालाबाद तहसील के ग्राम डूडी के भू-माफियाओं ने गंगा के नाम की जमीन को अपने नाम करा लिया और उसके बाद हुई चकबंदी में भी अधिकारियों ने कोई कार्यवाही नहीं की।.
जिलाधिकारी ने जांच के बाद नदी की जमीन को अवैध कब्जे से मुक्त कराया और वापस उसे गंगा तथा रामगंगा नदियों के अवैध रूप से भू माफियाओं के नाम दर्ज जमीन को पूरा गंगा तथा रामगंगा नदी के नाम दर्ज कराया है।. उन्होंने कहा कि इस मामले में लिप्त तत्कालीन सरकारी अधिकारियों की पहचान कर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
अपर जिलाधिकारी राशिद अली ने बताया की गंगा नदी की जमीन पर अवैध रूप से कब्जा करके करीब 40 भू-माफियाओं ने 6,312 बीघा जमीन सरकारी अभिलेखों में 500 लोगों के नाम दर्ज करवा दी थी।