चुनाव की घोषणा के साथ ही बुधवार को आदर्श आचार संहिता लागू हो गई।
New Delhi: निर्वाचन आयोग ने बुधवार को घोषणा की कि कर्नाटक में विधानसभा चुनाव 10 मई को एक ही चरण में होंगे और परिणाम 13 मई को घोषित किए जाएंगे। इस घोषणा के साथ ही अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले दक्षिण के इस राज्य में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और मुख्य प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के बीच चुनावी जंग का बिगुल बज गया है। जनता दल (सेक्युलर) राज्य में तीसरी प्रमुख पार्टी है। कर्नाटक में 224 सदस्यीय विधानसभा है। वर्तमान में भाजपा के पास 119 सीटें हैं जबकि कांग्रेस के पास 75 सीटें हैं। जद (एस) के पास 28 विधायक हैं, जबकि दो सीटें खाली हैं।
मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने यहां संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि चुनाव के लिए अधिसूचना 13 अप्रैल को जारी की जाएगी और नामांकन पत्र दाखिल करने की अंतिम तिथि 20 अप्रैल होगी।
कुमार ने कहा कि नामांकन पत्रों की जांच 21 अप्रैल को होगी और नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि 24 अप्रैल होगी। कुमार ने कहा कि मतदाताओं की अधिक भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए मतदान के लिए बुधवार को चुना गया है, न कि सोमवार या शुक्रवार को।
उन्होंने तर्क दिया, ‘‘लोग एक दिन की छुट्टी ले सकते हैं और एक लंबा सप्ताहांत कर सकते हैं। लेकिन बुधवार को मतदान कराने से यह संभावना कम हो गई है।’’ उन्होंने कहा कि यह कदम अधिक भागीदारी सुनिश्चित करने और मतदान केंद्रों पर जाने में मतदाताओं की उदासीनता पर अंकुश लगाने के चुनाव आयोग के प्रयास का हिस्सा है।. सत्तारूढ़ भाजपा और कांग्रेस ने पहले ही चुनाव के लिए जोरशोर से प्रचार अभियान शुरू कर दिया है।
चुनाव की घोषणा के साथ ही बुधवार को आदर्श आचार संहिता लागू हो गई। लेकिन कुमार ने कहा कि आचार संहिता लागू होने से पहले ही आयोग के निर्देशों पर प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा कड़ी निगरानी सुनिश्चित की जा रही है।, उन्होंने बताया कि अब तक 80 करोड़ रुपये से अधिक की राशि जब्त की जा चुकी है।
मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि विधानसभा चुनावों में शामिल होने और भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए कर्नाटक में पात्र ‘‘विशेष रूप से कमजोर आदिवासी समूहों’’ का 100 प्रतिशत नामांकन सुनिश्चित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इन समूहों के लिए चालीस ‘जातीय मतदान केंद्र’ स्थापित किए जाएंगे। चुनाव प्रक्रिया में उभयलिंगी समुदाय की भागीदारी पर विशेष जोर दिया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि कुछ लोग उभयलिंगी के रूप में नामांकन नहीं कराना चाहते हैं लेकिन चुनाव आयोग उनकी संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए उन्हें इसी अनुरूप पंजीकृत करने के लिए अतिरिक्त प्रयास करने को तैयार है।
मतदान को लेकर ‘शहरी उदासीनता’ का जिक्र करते हुए कुमार ने कहा कि 2019 के लोकसभा चुनावों में कम मतदान वाले शीर्ष 20 निर्वाचन क्षेत्रों में नौ शहरी थे। सीईसी ने कहा कि यह प्रवृत्ति हाल ही में 2022 में हुए गुजरात और हिमाचल प्रदेश चुनावों में भी देखी गई थी।
उन्होंने कहा कि स्कूलों और कॉलेजों में जागरूकता पैदा करने और संगठनों और आरडब्ल्यूए में मतदाता जागरूकता मंचों पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।
विधानसभा चुनाव के लिए राज्य में 58,282 मतदान केंद्र बनाए जाएंगे। प्रति मतदान केंद्र औसत मतदाता 883 आंका गया है। पचास प्रतिशत मतदान केंद्रों पर वेबकास्टिंग की सुविधा है। कुल 1,320 मतदान केंद्रों का प्रबंधन महिला अधिकारियों द्वारा किया जाएगा। चुनाव आयोग ने कहा कि 5,24 करोड़ से अधिक मतदाताओं में से 5.60 लाख से अधिक की पहचान दिव्यांग व्यक्तियों के रूप में की गई है।