आपराधिक ट्रायल को गति देने के लिए नए कानून में 35 जगह टाइम लाइन जोड़ी गई है।
New Criminal Laws:आज यानी 1 जुलाई से देशभर में घटित हए सभी अपराध नए कानून में दर्ज किए जाएंगे। एक जुलाई से देश में आइपीसी. सीआरपीसी और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह तीन नए कानून भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम लागू हो रहे हैं। इन तीन नए आपराधिक कानूनों में त्वरित न्याय सुनिश्चित करने के लिए एफआइआर से लेकर फैसले तक को समयसीमा में बांधा गया है।
नए कानून में 35 जगह टाइमलाइन तय:
आपराधिक ट्रायल को गति देने के लिए नए कानून में 35 जगह टाइम लाइन जोड़ी गई है। शिकायत मिलने पर एफआइआर दर्ज करने, जांच पूरी करने, अदालत के संज्ञान लेने, दस्तावेज दाखिल करने और ट्रायल पूरा होने के बाद फैसला सुनाने तक की समयसीमा तय है।
साथ ही आधुनिक तकनीक का भरपूर इस्तेमाल और इलेक्ट्रानिक साक्ष्यों को कानून का हिस्सा बनाने से मुकदमों के जल्दी निपटारे का रास्ता, आसान हुआ है। शिकायत, समन और गवाही की प्रक्रिया में इलेक्ट्रानिक माध्यमों के इस्तेमाल से न्याय की रफ्तार तेज होगी। अगर कानून में तय समयसीमा को ठीक उसी मंशा से लागू किया गया जैसा कानून लाने का उद्देश्य है तो निश्चय ही नए कानून से मुकदमे जल्दी निपटेंगे और तारीख पर तारीख के दिन लद जाएंगे। हालांकि कई दल नए कानूनों को लागू करने का विरोध भी कर रहे हैं.
शिकायत देने के बाद तीन दिन के अंदर होगी एफआइआर
आपराधिक मुकदमे की शुरुआत एफआइआर से होती है। नए कानून में तय समयसीमा में एफआइआर दर्ज करना और उसे अदालत तक पहुंचाना सुनिश्चित किया गया है। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) में व्यवस्था है कि शिकायत मिलने पर तीन दिन के अंदर एफआइआर दर्ज करनी होगी। इसके अलावा तीन से सात साल की सजा के केस में 14 दिन में प्रारंभिक जांच पूरी कर एफआइआर दर्ज की जाएगी। 24 घंटे में तलाशी रिपोर्ट के बाद उसे न्यायालय के सामने रख दिया जाएगा।
दुष्कर्म मामले में ऐसे होगी समयबद्ध कार्रवाई
दुष्कर्म मामले में सात दिन के भीतर पीडिता की चिकित्सा रिपोर्ट थाने और कोर्ट भेजी जाएगी। सीआरपीसी में इसकी समयसीमा तय नहीं थी। नए कानून में आरोपपत्र की भी टाइमलाइन तय है। आरोपपत्र दाखिल करने के लिए पहले की तरह 60 व 90 दिन समय तो है, लेकिन 90 दिन के बाद जांच जारी रखने के लिए कोर्ट से इजाजत लेनी होगी और जांच 180 दिन से ज्यादा लंबित नहीं रहेगी। 180 दिन में आरोपपत्र दाखिल करना होगा। ऐसे में जांच चालू रहने के नाम पर आरोपपत्र को अनिश्चितकाल के लिए नहीं लटकाया जा सकता।
पुलिस के साथ अदालत के लिए भी समयसीमा तय
पुलिस के साथ ही अदालत के लिए भी समयसीमा तय की गई है। मजिस्ट्रेट 14 दिन के भीतर केस का संज्ञान लेंगे। केस ज्यादा से ज्यादा 120 दिनों में ट्रायल पर आ जाएगा। प्ली बार्गेनिंग का भी समय तय है। प्ली बार्गेनिंग पर नया कानून कहता है कि आरोप तय होने के 30 दिन के भीतर आरोपित गुनाह स्वीकार कर लेगा, तो सजा कम होगी। सीआरपीसी में प्ली बार्गेनिग के लिए समयसीमा तय नहीं थी। नए कानून में केस में दस्तावेज की प्रक्रिया भी 30 दिन में पूरी होगी। फैसला भी समय के भीतर होगा। ट्रायल पूरा होने पर अदालत 30 दिन में फैसला सुनाएगी। लिखित कारण दर्ज करने पर फैसले की अवधि 45 दिन तक हो सकती है, लेकिन इससे ज्यादा नहीं। दया याचिका के लिए भी समयसीमा तय की गई है। सुप्रीम कोर्ट से अपील खारिज होने के 30 दिन के भीतर दया याचिका दाखिल करनी होगी।
क्या है नए कानून में
• पहली बार आतंकवाद को परिभाषित किया गया
• राजद्रोह की जगह अब देशद्रोह बना अपराध
• माब लिंचिंग के मामले में आजीवन कारावास या मौत की सजा
• एफआइआर कहीं भी दर्ज हो सकेगी, जांच की रिपोर्ट मिलेगी
• राज्य एकतरफा केस वापस नहीं ले सकेंगे। पीड़ित को सुनना होगा
• एफआइआर, केस डायरी, चार्जशीट व जजमेंट सब डिजिटल
• तलाशी और जब्ती में आडियो- वीडियो रिकार्डिंग अनिवार्य
• गवाहों को आडियो-वीडियो से बयान रिकार्ड कराने का विकल्प सात साल या अधिक सजा के
• अपराध में फारेंसिक विशेषज्ञ द्वारा सुबूत जुटाना अनिवार्य • छोटे-मोटे अपराध जल्द निपटारे
के लिए समरी ट्रायल का प्रविधान
• पहली बार के अपराधी के ट्रायल के दौरान एक तिहाई सजा काटने पर मिलेगी जमानत
• भगोड़ों की संपत्ति होगी जब्त, अनुपस्थिति में भी चलेगा केस
• पुराना और नया कानून
• भारतीय दंड संहिता (आइपीसी), 1860 की जगह लागू हो रहा है भारतीय न्याय संहिता, 2023
• दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) 1973 की जगह लागू हो रहा है-भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 •
• भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 की जगह लागू हो रहा है-भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023
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