मणिपुर हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.
मणिपुर - मणिपुर में मैतई और कुकी समुदाय के बीच जारी हिंसा को तीन महीने हो गए हैं। गुरुवार को बिष्णुपुर जिले में सुरक्षा बलों और मैतई समुदाय के बीच हिंसक झड़प हुई। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सुरक्षा बलों ने हवाई फायरिंग की और आंसू गैस के गोले दागे। जिसमें 17 लोग घायल हो गए.
बिष्णुपुर में मैतई समुदाय की महिलाओं ने बफर जोन पार करने की कोशिश की. असम राइफल्स ने उन्हें रोकने की कोशिश की. इस पर महिलाओं ने सुरक्षा बलों पर पथराव शुरू कर दिया. सुरक्षा बलों ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए हवा में गोलियां चलाईं और आंसू गैस के गोले छोड़े. झड़पों के बाद इंफाल और इंफाल पश्चिम में कर्फ्यू में ढील वापस ले ली गई।
मणिपुर हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. कई लोगों के शव इंफाल और चुराचांदपुर के अस्पतालों के शवगृह में रखे गए हैं. कुकी समुदाय के 35 लोगों के शवों को गुरुवार को चुराचांदपुर के लमका शहर के तुईबोंग शांति मैदान में दफनाया गया।
बुधवार रात को ऐसी अफवाह फैली कि कुछ कुकी शवों को दफनाने के लिए बाहर ले जाया जा सकता है। इसके बाद इंफाल में दो अस्पतालों रीजनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज और जवाहरलाल नेहरू मेडिकल साइंस के पास भीड़ जमा हो गई, हालांकि पुलिस भीड़ को शांत करने में कामयाब रही. रात 10 बजे तक कोई घटना नहीं हुई.
इंफाल के इन दोनों अस्पतालों के शवगृह में इंफाल घाटी में जातीय संघर्ष में मारे गए लोगों के कई शव रखे हुए हैं. किसी भी हिंसा को रोकने के लिए यहां असम राइफल्स, रैपिड एक्शन फोर्स, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल और सेना की कई इकाइयां तैनात की गई हैं।
उधर, जिला प्रशासन ने इंफाल पश्चिम और दक्षिण में कर्फ्यू में ढील वापस ले ली है. पूरी इंफाल घाटी में रात के कर्फ्यू के अलावा दिन में भी छुट्टी के दिन प्रतिबंध लगाए गए हैं. वहीं, बता दें कि मणिपुर हिंसा के मुद्दे पर संसद में विपक्षी दलों ने हंगामा किया है और लगातार नारेबाजी कर रहे हैं. हंगामे के कारण संसद की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी.