Supreme Court News: 'संविधान पीठ का फैसला कम सदस्य संख्या वाली पीठों पर बाध्यकारी', सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी

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Supreme Court News: 'संविधान पीठ का फैसला कम सदस्य संख्या वाली पीठों पर बाध्यकारी', सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी
Published : May 17, 2024, 5:24 pm IST
Updated : May 17, 2024, 5:24 pm IST
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' decision of the Constitution Bench is binding on the benches with less number of members', Supreme Court
' decision of the Constitution Bench is binding on the benches with less number of members', Supreme Court

न्यायालय ने यह टिप्पणी भूमि से संबंधित एक मामले में की जो विशेष रूप से हरियाणा के एक गांव के निवासियों के साझा इस्तेमाल वाली थी।

Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट  ने अपने अप्रैल 2022 के फैसले की समीक्षा करते हुए कहा है कि संविधान पीठ का फैसला कम सदस्य संख्या वाली पीठों पर “बाध्यकारी” होगा। न्यायालय ने यह टिप्पणी भूमि से संबंधित एक मामले में की जो विशेष रूप से हरियाणा के एक गांव के निवासियों के साझा इस्तेमाल वाली थी।

शीर्ष अदालत ने सात अप्रैल, 2022 के अपने आदेश में कहा था कि कोई पंचायत उस जमीन के स्वामित्व का दावा नहीं कर सकती जो हरियाणा में भूमि कानून के तहत वास्तविक मालिकों से उनकी अनुमेय सीमा से ज्यादा ली गई है। शीर्ष अदालत ने कहा था कि पंचायतें केवल उस भूमि का प्रबंधन और नियंत्रण कर सकती हैं जो मालिकों से ली गईं हैं और उस पर स्वामित्व का दावा नहीं कर सकतीं।

न्यायालय ने कहा था, ‘‘ यहां इस बात पर गौर करना जरूरी है कि मालिकों की अनुमेय सीमा से आनुपातिक कटौती लागू करके मालिक से ली गई भूमि के मामले में, प्रबंधन और नियंत्रण केवल पंचायत में निहित है लेकिन प्रबंधन और नियंत्रण का ऐसा अधिकार अपरिवर्तनीय है और भूमि पुनर्वितरण के लिए मालिकों को वापस नहीं की जाएगी क्योंकि जिन सामान्य उद्देश्यों के लिए भूमि ली गई है उनमें न केवल वर्तमान आवश्यकताएं बल्कि भविष्य की आवश्यकताएं भी शामिल हैं।’’

शीर्ष अदालत ने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय की पूर्ण पीठ के फैसले के खिलाफ अपीलों के एक समूह पर फैसला सुनाया था, जिसने हरियाणा ग्राम सामान्य भूमि (विनियमन) अधिनियम 1961 की धारा 2 (जी) की उप-धारा 6 की वैधता की जांच की थी। शीर्ष अदालत ने अप्रैल 2022 के फैसले की समीक्षा की अपील करने वाली याचिका पर अपना यह फैसला सुनाया।

बृहस्पतिवार को दिए गए एक फैसले में न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने कहा कि जब उच्च न्यायालय का फैसला 1966 में शीर्ष अदालत की संविधान पीठ द्वारा निर्धारित कानून पर आधारित था, तो समीक्षाधीन निर्णय में अदालत से “कम से कम यह समझाने की उम्मीद की जाती है” कि 1966 के फैसले पर भरोसा करने में उच्च न्यायालय गलत क्यों था।

पीठ ने कहा “यह बताने के लिए किसी कानून की आवश्यकता नहीं है कि संविधान पीठ का निर्णय कम सदस्य संख्या वाली पीठों पर बाध्यकारी होगा। भगत राम (1966 फैसला) का निर्णय पांच न्यायाधीशों द्वारा किया गया है, इस अदालत में दो न्यायाधीशों की पीठ भगत राम मामले में अनुच्छेद 5 में संविधान पीठ द्वारा निर्धारित कानून की अनदेखी नहीं कर सकती थी।’’

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इसमें कहा गया है कि संविधान पीठ द्वारा निर्धारित कानून को “अनदेखा” करना और उसके बिल्कुल विपरीत दृष्टिकोण रखना एक भौतिक त्रुटि होगी। इसमें कहा गया, “हमारे विचार में संविधान पीठ के फैसले को नजरअंदाज करने से इसकी सुदृढ़ता कमजोर होगी। केवल इस संक्षिप्त आधार पर समीक्षा की अनुमति दी जा सकती थी।” समीक्षा याचिका की अनुमति देते हुए पीठ ने कहा, “इस न्यायालय के सात अप्रैल 2022 के फैसले के आलोक में अपील दायर करने के लिए बहाल की जाती है।”

पीठ ने निर्देश दिया कि अपील को सात अगस्त को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए। शीर्ष अदालत ने कहा कि यह तय हो चुका है कि समीक्षा तभी स्वीकार्य होगी जब रिकॉर्ड में कोई गलती या त्रुटि स्पष्ट हो या कोई अन्य पर्याप्त कारण बताया गया हो।

(For more news apart from ' decision of the Constitution Bench is binding on the benches with less number of members', Supreme Court, stay tuned to Rozana Spokesman Hindi)

Location: India, Delhi, New Delhi

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