भारतीय शोधकर्ताओं ने खोजी नई प्रजाति की मीठे पानी की खाने वाली मछली

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भारतीय शोधकर्ताओं ने खोजी नई प्रजाति की मीठे पानी की खाने वाली मछली
Published : Apr 18, 2023, 10:58 am IST
Updated : Apr 18, 2023, 10:58 am IST
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Indian researchers discovered new species of freshwater fish
Indian researchers discovered new species of freshwater fish

इस प्रजाति की मछलियां लंबी, छोटी से मध्यम आकार की होती हैं और गहरे पानी में रहती हैं।

भुवनेश्वर: ओडिशा केंद्रीय विश्वविद्यालय (CUO), कोरापुट और भारतीय जैविक सर्वेक्षण के शोधकर्ताओं ने हाल ही में घाटगुडा के कोरापुट में कोलाब नदी से एक दुर्लभ मीठे पानी की खाद्य मछली की खोज की है। 'ओडिशा के पूर्वी घाटों में कोरापुट की मीठे पानी की मछलियों की विविधता, वितरण और खतरे' विषय पर रिसर्च करने वाली सुप्रिया सुरचिता,  प्रोफेसर शरत कुमार पलिता, सीयूओ, डीन, जैव विविधता और संरक्षण स्कूल की देखरेख में आयोजित किया गया था। कोलाब नदी गोदावरी नदी की एक महत्वपूर्ण सहायक नदी है। इसके साथ ही विश्वविद्यालय के कुलपति ने पूरी टीम को बधाई दी है।

गौरतलब है कि जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (जेडएसआई), कोलकाता के बी. रॉय चौधरी के साथ सीयूओ शोधकर्ता गारा जीनस की कुछ मछलियों की सावधानीपूर्वक जांच कर रहे थे, जब वे मछली की एक नई प्रजाति की खोज करने में सफल रहे। जीएसआई के डॉ लैशराम कोश्यिन के सम्मान में नई प्रजाति का नाम 'गर्रा पट्टाश्रमी' रखा गया है। इसके साथ ही इस शोध को जर्मन अंतरराष्ट्रीय पत्रिका 'इचथियोलॉजिकल एक्सप्लोरेशन ऑफ फ्रेशवाटर्स' में भी जगह दी गई है।

इस प्रजाति की मछलियां लंबी, छोटी से मध्यम आकार की होती हैं और गहरे पानी में रहती हैं। इनके गूलर क्षेत्रों से उत्तकों के विकास के कारण गूलर डिस्क बनता है जो, उनके थूथन के आकार, उनका आकार, उनके बनावट को औरों मछलियों से अलग करती हैं.

इस प्रकार की मछली बोर्नियो, दक्षिण चीन, दक्षिण एशिया से मध्य पूर्व एशिया, अरब प्रायद्वीप, पूर्व से पश्चिम अफ्रीका तक पाई जाती है। हालाँकि, आज तक, गारा लेशरामी केवल पूर्वी घाट में गोदावरी नदी की एक सहायक नदी कोलाब में पाई जाती है।

यह नई मछली मछली की एक ऐसी प्रजाति से संबंधित है जिसमें एक लंबा नाक या थूथन होता है जो कि ये एक प्रकार के नालिकार रूप में होते हैं. इस प्रजाति के अन्य सदस्य केवल भारतीय उपमहाद्वीप में पाए जाते हैं। उनके मुंह आगे की ओर निकले हुए होते हैं और उन पर छोटे-छोटे चेचक जैसे छाले होते हैं, जो उन्हें अन्य प्रजातियों से अलग करते हैं। इनकी लंबाई 76 मिमी से 95.5 मिमी तक होती हैं और ये खाने योग्य होती हैं.

Location: India, Odisha, Bhubaneswar

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ROZANASPOKESMAN

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