कांत ने कहा कि चीन में 60 प्रतिशत कारें इलेक्ट्रिक हैं जबकि यूरोप और अमेरिका में यह क्रमश: 15 प्रतिशत तथा 10 प्रतिशत है।
पणजी: भारत के जी-20 शेरपा अमिताभ कांत ने बुधवार को कहा कि देश को 2030 तक सभी दोपहिया और तिपहिया वाहनों इलेक्ट्रिक करने का लक्ष्य लेकर चलना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि देश को 2030 तक 65 प्रतिशत सार्वजनिक परिवहन के साधनों को इलेक्ट्रिक वाहन बनाने का लक्ष्य रखना चाहिए।
कांत ने कहा कि भारत को इलेक्ट्रिक वाहन के इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये एक स्पष्ट नीतिगत व्यवस्था की आवश्यकता है। उन्होंने पणजी में भारत की जी-20 अध्यक्षता के तहत ऊर्जा बदलाव से जुड़े कार्यसमूह की चौथी बैठक के दौरान इलेक्ट्रिक वाहनों पर नीति आयोग की तरफ से अलग से आयोजित कार्यक्रम में यह बात कही।
नीति आयोग के पूर्व सीईओ ने कहा कि देश में शहरीकरण तेजी से बढ़ रहा है, इसके साथ यह जरूरी है कि यह रहने लायक अच्छा हो। हमें सबसे पहले दोपहिया और तिपहिया वाहनों को बिजली से चलने वाला बनाना होगा।
उन्होंने कहा, ‘‘भारत की नीति ऐसी होनी चाहिए जिससे 2030 तक सभी दोपहिया और तिपहिया वाहन बिजलीचालित हों। इसके लिये जो भी जरूरी हो, कदम उठाये जाने चाहिए।’’ कांत ने कहा कि डीजल और पेट्रोल अब ज्यादा चलने वाला नहीं है। इलेक्ट्रिक वाहन अब अपरिहार्य है। उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर इलेक्ट्रिक कार बाजार एक करोड़ का आंकड़ा पार कर गया है और जो नई कारें बिक रही हैं, उसमें से 18 प्रतिशत बिजली से चलने वाली हैं।
कांत ने कहा कि चीन में 60 प्रतिशत कारें इलेक्ट्रिक हैं जबकि यूरोप और अमेरिका में यह क्रमश: 15 प्रतिशत तथा 10 प्रतिशत है।
उन्होंने कहा, ‘‘भारत इलेक्ट्रिक वाहनों की वृद्धि के लिये जो रास्ता अपनाएगा, वह अमेरिका तथा यूरोप से अलग होगा।’’
कांत ने इलेक्ट्रिक वाहनों के लिये सस्ता वित्तपोषण उपलब्ध कराने का भी सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि वित्तीय संस्थानों को इस चुनौती का सामना करना पड़ रहा है कि पुराने इलेक्ट्रिक वाहनों का बिक्री मूल्य कम है।
कांत ने कहा कि नीति आयोग को वित्तीय संस्थानों के साथ बैठकर इसपर काम करना चाहिए कि पुराने इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री का बाजार कैसे विकसित किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा दूसरी चुनौती सार्वजनिक-निजी भागीदारी में सभी शहरों और गांवों में चार्जिंग बुनियादी ढांचा तैयार करने की है।
कांत ने कहा कि वाहन क्षेत्र देश के लिये महत्वपूर्ण है क्योंकि विनिर्माण उद्योग में इसकी हिस्सेदारी 49 प्रतिशत है। जबकि यह क्षेत्र आठ से नौ प्रतिशत रोजगार देता है। उन्होंने कहा, ‘‘अगर भारत इलेक्ट्रिक वाहनों के क्षेत्र में आगे नहीं बढ़ पाएगा, तो वह दुनिया में वाहन क्षेत्र में वैश्विक ‘चैंपियन’ बनने का मौका गंवा देगा।’’