रोज़ाना स्पोक्समैन ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल हो रहा वीडियो काफी पुराना है, ..
RSFC (टीम मोहाली) - कर्नाटक चुनाव में वोटिंग हो चुकी है और बहुत जल्द नतीजे लोगों के सामने होंगे। इन चुनावों से जुड़े कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए थे। इस सीरीज में सोशल मीडिया पर कई फर्जी दावे भी देखने को मिले। ऐसा ही एक वीडियो वायरल हुआ जिसके साथ दावा किया गया कि कुछ लोगों ने एक समुदाय विशेष को बदनाम करने के लिए बेवजह पथराव किया। इस वीडियो में पुलिस कुछ लोगों के बुर्का उतार रही है। वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि पुरुष महिलाओं के कपड़े पहनकर घूम रहे थे।
ट्विटर यूजर और कांग्रेस नेता सुरेंद्र राजपूत ने 10 मई 2023 को एक वायरल वीडियो शेयर किया और उसके साथ कैप्शन दिया, "मुसलमान को बदनाम करने के लिये बुर्का पहन कर कर्नाटक में पथराव कर रहा था ये! भक्तों भाजपा के ख़िलाफ़ साज़िश मत कहना अभी भाजपा की सरकार ही है वहाँ! मोदी जी कपड़े से पहचानो!"
मुसलमान को बदनाम करने के लिये बुर्का पहन कर कर्नाटक में पथराव कर रहा था ये!
— Surendra Rajput (@ssrajputINC) May 10, 2023
भक्तों भाजपा के ख़िलाफ़ साज़िश मत कहना अभी भाजपा की सरकार ही है वहाँ!
मोदी जी कपड़े से पहचानो! pic.twitter.com/x7dCOZsmI7
रोज़ाना स्पोक्समैन ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल हो रहा वीडियो काफी पुराना है, जब महिलाओं के भेष में घूम रहे शराब तस्करों को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। अब पुराने वीडियो को सांप्रदायिक रंग देकर वायरल किया जा रहा है।
स्पोक्समैन की पड़ताल
पड़ताल शुरू करते हुए हमने सबसे पहले इस वीडियो को ध्यान से देखा और वीडियो के की-फ्रेम्स निकाल कर उन्हें गूगल रिवर्स इमेज सर्च किया।
वायरल वीडियो पुराना है...
आपको बता दें कि इस वीडियो से जुड़ी कई पुरानी रिपोर्ट्स हमारे हाथ लगीं जिनसे साफ हुआ कि ये वीडियो सांप्रदायिक दावों के साथ पहली बार वायरल नहीं हुआ है बल्कि कई सालों से वायरल हो रहा है।
क्या है असल मामला ?
ईटीवी द्वारा 8 अगस्त, 2020 को प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, मामला आंध्र प्रदेश के कुरनूल जिले का है जब पुलिस ने बुर्का पहनकर घूम रहे शराब तस्करों को गिरफ्तार किया था।
मतलब साफ था कि वायरल वीडियो कर्नाटक का नहीं बल्कि आंध्र प्रदेश के कुरनूल का एक पुराना वीडियो है, जिसे सांप्रदायिक रंग देकर कर्नाटक चुनाव के सिलसिले में वायरल किया गया था।
नतीजा- रोज़ाना स्पोक्समैन ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल हो रहा वीडियो काफी पुराना है, जब महिलाओं के भेष में घूम रहे शराब तस्करों को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। अब पुराने वीडियो को सांप्रदायिक रंग देकर वायरल किया जा रहा है।