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रोज़ाना स्पोक्समैन ने अपनी पड़ताल में वायरल दावे को फर्जी पाया।
RSFC (Team Mohali)- भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की ओर से एक बयान सोशल मीडिया पर उनकी तस्वीर के साथ वायरल किया जा रहा है। दावा किया जा रहा है कि डीवाई चंद्रचूड़ ने लोगों से सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने की अपील की है।
इस वायरल ग्राफ़िक का स्क्रीनशॉट नीचे देखा जा सकता है।
screenshot of this viral graphic
रोज़ाना स्पोक्समैन ने अपनी पड़ताल में वायरल दावे को फर्जी पाया। इस बयान को लेकर भारत के सुप्रीम कोर्ट ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर इसका खंडन किया है।
स्पोक्समैन की पड़ताल
पड़ताल शुरू करते हुए हमने सबसे पहले कीवर्ड सर्च के जरिए इस बयान के बारे में खबरें ढूंढनी शुरू कीं। आपको बता दें कि हमें इस बयान की पुष्टि करने वाली कोई खबर नहीं मिली लेकिन हमें कई खबरें मिलीं जिनमें दावा किया गया कि यह बयान फर्जी है।
हमें लाइव लॉ के आधिकारिक एक्स अकाउंट पर 14 अगस्त 2023 का एक ट्वीट मिला। ट्वीट में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति को साझा किया गया। इस प्रेस रिलीज में साफ कहा गया कि वायरल दावा फर्जी है।
विज्ञप्ति के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान में आया है कि सोशल मीडिया पर एक पोस्ट साझा की जा रही है, जिसमें लोगों को अधिकारियों के खिलाफ विरोध करने के लिए उकसाया जा रहा है और उनके खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने के लिए मुख्य न्यायाधीश की तस्वीर का इस्तेमाल कर इस बयान को वायरल किया जा रहा है। ये पोस्ट फर्जी है। मुख्य न्यायाधीश ने न तो ऐसी कोई पोस्ट जारी की है और न ही किसी अन्य को इसका इस्तेमाल करने के लिए अधिकृत किया है। इस संबंध में आवश्यक कानूनी कार्रवाई की जा रही है।
इस रिलीज़ को नीचे देखा जा सकता है।
#SupremeCourt issues a statement regarding a fake-news being spread in the social media falsely quoting the Chief Justice of India.
— Live Law (@LiveLawIndia) August 14, 2023
Law authorities are taking appropriate action in this regard.#SupremeCourtofIndia pic.twitter.com/gRy65EpIA6
सर्च के दौरान हमने पाया कि इंडिया टुडे ने 14 अगस्त 2023 को इस मामले पर एक लेख प्रकाशित किया था जिसमें सुप्रीम कोर्ट के महासचिव अतुल कुरहेकर और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी इस दावे का खंडन किया है।
नतीजा- रोज़ाना स्पोक्समैन ने अपनी पड़ताल में वायरल दावे को फर्जी पाया। इस बयान को लेकर भारत के सुप्रीम कोर्ट ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर इसका खंडन किया है।