यदि माता-पिता, विकलांगता के संबंध में बुनियादी प्रशिक्षण प्राप्त करें तो उनकी समस्याओं के निवारण में बहुत उपयोगी हो सकते हैं।
पटना: शारीरिक-मानसिक चुनौतियों का सामना कर रहे बच्चों में बाधा-निवारण की हस्तक्षेप-प्रक्रिया में माता-पिता की समान भागीदारी होनी चाहिए। यह ज़रूरी है कि ऐसे बच्चों के माता-पिता वीयज्ञानिक और मनो-वैज्ञानिक रूप से अपने बच्चे की समस्याओं को ठीक से समझें तथा चिकित्सकों, विशेष-शिक्षाकों और पुनर्वास-कर्मियों को उनके कार्य में निपुणता से सहयोग करें । इसलिए आवश्यक है कि ऐसे माता-पिता भी इन विषयों में आधारभूत ज्ञान अर्जित करें।
यह बातें शुक्रवार को, भारतीय पुनर्वास परिषद, भारत सरकार के सौजन्य से बेउर स्थित इंडियन इंस्टिच्युट औफ़ हेल्थ एडुकेशन ऐंड रिसर्च में,विकलांगों के पुनर्वास के कार्य में अपनी सेवाएँ दे रहे विशेषज्ञों एवं विशेष शिक्षकों को आधुनिक तकनीक से अवगत कराने हेतु आयोजित ५ दिवसीय राष्ट्रीय सतत पुनर्वास प्रशिक्षण कार्यशाला के उद्घाटन-समारोह की अध्यक्षता करते हुए, संस्थान के निदेशक-प्रमुख डा अनिल सुलभ ने कही।
समारोह के मुख्य अतिथि एवं विश्वविद्यालय सेवा आयोग, बिहार के अध्यक्ष राजवर्द्धन आज़ाद ने कहा कि, दिव्यांगता के क्षेत्र में कार्य करने वाले लोग आदरणीय होते हैं। वे चाहे विशेष-शिक्षक हों, पुनर्वास-कर्मी हों अथवा विशेष चिकित्सक, सभी समर्पण की भावना से कार्य करते हैं। यदि उनमे समर्पण नहीं होगा, तो वे दिव्यांगों की कोई सेवा नहीं कर पाएंगे। उन्होंने कहा कि बाच्चों के सर्वांगीण विकास में माता-पिता की सबसे महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। वे अपने बच्चों को जन्म से लेकर बड़ा होता हुआ देखते हैं। इसलिए वे उनके व्यवहार और समस्याओं को अन्य किसी की तुलना में अधिक समझ सकते हैं। यदि माता-पिता, विकलांगता के संबंध में बुनियादी प्रशिक्षण प्राप्त करें तो उनकी समस्याओं के निवारण में बहुत उपयोगी हो सकते हैं।
विशिष्ट अतिथि और आर्मी आशा स्कूल की प्रधानाचार्य कल्पना झा ने कहा कि दिव्यांगजनों की जो समस्याएं होती हैं, उन्हें ठीक से समझना आवश्यक है। छोटे बच्चों की समस्याओं को माताएं भली भांति समझ पाती हैं। इसलिए पुनर्वास के कार्यों में माता-पिता को सम्मिलित करना ज़रूरी है। संसाधन शिक्षक डॉ नीरज कुमार वेदपुरिया और प्रो प्रेम लाल राय तथा स्वाति दारुका ने भी अपने वैज्ञानिक-पत्र प्रस्तुत किए।
अतिथियों का स्वागत संस्थान के विशेष शिक्षा विभाग के अध्यक्ष तथा कार्यशाला के समन्वयक प्रो कपिलमुनि दूबे ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन संतोष कुमार सिंह ने किया। प्रशिक्षण-कार्यशाला में, देश के विभिन्न राज्यों से दो सौ से अधिक विशेष शिक्षक एवं पुनर्वासकर्मी भाग ले रहे हैं।