
राज्य के सभी जिलों में 30 अप्रैल तक वंचित लाभार्थियों को टीकाकृत करने का लक्ष्य
Patna News: पटना, स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि एईएस से बचाव को लेकर युद्ध स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। एईएस संक्रमण के कई कारणों में जापानी इनसेफलायटिस यानी जेई का संक्रमण भी एक प्रमुख कारण माना जाता है।
जेई संक्रमण के रोकथाम के लिए जेई टीका टीकाकरण एक प्रभावी एवं कारगर उपाय है। वर्त्तमान में राज्य के कुछ जिलों में एईएस के संभावित संक्रमण के मद्देनजर सभी जिलों में जेई-1 एवं जेई-2 टीकाकरण के आच्छादन को सुदृढ़ करने पर विशेष बल दिया जा रहा है। राज्य में 9 माह से 2 वर्ष आयु वर्ग के सभी बच्चों को जेई का दो टीका नियत अंतराल पर दिया जाता है।
पांडेय ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग जेई टीकाकरण के शत प्रतिशत आच्छादन को लेकर निरंतर प्रयास कर रहा है। लक्ष्य की प्राप्ति को लेकर राज्य के सभी जिलों के प्रत्येक प्रखंड में जेई टीके से वंचित सभी लक्षित बच्चों को चिह्नित कर आगामी 30 अप्रैल 2025 तक शत-प्रतिशत आच्छादन सुनिश्चित करने के लिए सभी जिलों के सिविल सर्जन को निर्देश दिए गए हैं।
पांडेय ने कहा कि जापानी इंसेफलायटिस बच्चों में होने वाली एक गंभीर समस्या है। इसके उपचार की कोई विशिष्ट दवा उपलब्ध नहीं है। लक्षण के आधार केस प्रबंधन किया जाता है। इसे ध्यान में रखते हुए इसके उपचार की तुलना में इससे बचाव पर स्वास्थ्य विभाग का अधिक जोर है।
जापानी इंसेफलायटिस को जापानी बुखार भी कहा जाता है। इस रोग का संक्रमण अमूमन बरसात यानी जुलाई से अगस्त के महीनों एवं इसके बाद की अवधि यानी अक्टूबर से नवम्बर के दौरान बढ़ता है। जेई बच्चों के लिए जानलेवा हो सकता है। इसलिए राज्य के बच्चों को शत-प्रतिशत जेई टीकाकरण सुनिश्चित कराने पर जोर दिया जा रहा है।
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