एप्सिलॉन मनी के फाइनेंस दिवा पहल के अग्रगामी के रूप में यह अध्ययन किया गया था
पटना : नए युग का एकीकृत संपत्ति प्रबंधन फर्म एप्सिलॉन मनी ने अपने दीर्घकालिक वित्त जागरूकता पहल फाइनेंस दिवा को प्रारंभ करने पहले इसके अग्रगामी के रूप में महिला निवेशकों के बारे में एक सर्वेक्षण किया। इस सर्वेक्षण के अनुसार महिला निवेशकों की प्राथमिकताओं में अभी भी सावधि जमा और बचत खाते हैं। एक सर्वेक्षण से पता चलता है कि कथित तरलता और सुरक्षा के कारण पारंपरिक निवेश विकल्पों में 60 प्रतिशत महिला निवेशक अपना पैसा निवेश करना चाहती हैं।
एप्सिलॉन मनी के क्षेत्रीय निदेशक वर्षा चोपड़ा ने कहा आधुनिक भारतीय महिलाओं की उभरती आकांक्षाओं के बारे में ये निष्कर्ष कुछ बताते हैं। सर्वेक्षण की अंतर्दृष्टि से हमें पता चलता है कि महिला निवेशकों में से 44 प्रतिशत अपने वित्तीय निर्णय स्वयं लेती हैं और निवेश करने के पीछे उनकी मुख्य प्रेरणा आत्म-सुरक्षा थी। कोई भी वित्तीय निर्णय लेने से पहले 56 प्रतिशत महिलाएँ सलाह लेती हैं। लेकिन, यह दोनों समूह वित्तीय साक्षरता और जागरूकता के लिए खुला हुआ है। इस सर्वेक्षण की अंतर्दृष्टि का उपयोग करके हम उनको वित्तीय रूप से सशक्त करने की दिशा में एक सतत पहल का शुभारंभ कर रहे हैैं।
एप्सिलॉन मनी की निदेशक मधु स्मिता सिंह ने कहा हमारा मानते हैं कि हर किसी का अपना वित्तीय लक्ष्य होता है और उसे हासिल करने के लिए हमें समय, धैर्य, अनुशासन और सबसे महत्वपूर्ण, एक विश्वसनीय संपत्ति सहयोगी की आवश्यकता होती है। एप्सिलॉन मनी ने महिलाओं को अपने वित्त पर नियंत्रण रखने में मदद करने के लिए फाइनेंस दिवा पहल का शुभारंभ किया है। इस पहल का उद्देश्य महिलाओं को ऑनलाइन और ऑफलाइन गतिविधियों के माध्यम से वित्तीय साधनों और निवेश विकल्पों के बारे में शिक्षित करना है, जिससे उन्हें सूचित निर्णय लेने में मदद मिल सके। “उच्च बचत दर और समग्र बचत संस्कृति के कारण भारत की अर्थव्यवस्था को बचत करने वाली अर्थव्यवस्था के रूप में जाना जाता है। हर घर की महिलाएँ बचत करने में प्रमुख भूमिका निभाती हैं।
इस सर्वेक्षण का लक्ष्य वित्त और निवेश के बारे में महिलाओं के दृष्टिकोण का पता लगाना था। समूचे भारत के 37 शहरों की महिलाओं ने इस सर्वेक्षण में भाग लेकर अपनी बहुमूल्य जानकारी को साझा किया। स्तर II और स्तर III शहरों से 33 प्रतिशत प्रतिभागियों का भाग लेना इस सर्वेक्षण की दिलचस्प बात है।
सर्वेक्षण की 60 प्रतिशत उत्तरदाता 18-30 आयु वर्ग की थीं, जिसके बाद 31-45 आयु वर्ग में 32 प्रतिशत, 45-60 और 60 से अधिक आयु वर्ग में क्रमशः 7 प्रतिशत और 1 प्रतिशत उत्तरदाता थीं। वेतनभोगी पृष्ठभूमि से 49 प्रतिशत उत्तरदाता थीं, 16 प्रतिशत स्व-नियोजित और 12 प्रतिशत पेशेवर थीं। इस सर्वेक्षण के उत्तरदाताओं में से 23 प्रतिशत गृहिणी थीं।