
लोक निजी भागीदारी में पटना क्लस्टर के लिए एकीकृत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन परियोजना का कार्यान्वयन
Patna News In Hindi: पटना, राज्य सरकार की पहल पर राज्य में ठोस अपशिष्ट के समुचित प्रसंस्करण एवं निपटान हेतु पटना क्लस्टर अंतर्गत ठोस कचरा प्रबंधन परियोजना शुरू की जा रही है।
इस योजना के कार्यान्वयन से पटना नगर निगम के साथ-साथ इसके आस-पास के अन्य ग्यारह नगर निकायों के ठोस अपशिष्ट का प्रबंधन संभव हो पाएगा। यह देश में पहली बार भारत सरकार ने किसी राज्य को सामाजिक अवसंरचना योजना के अन्तर्गत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए व्यवर्हिता अंतर वित्त पोषण योजना के माध्यम से अनुदान देने का निर्णय लिया है। उक्त बातें राज्य के नगर विकास एवं आवास विभाग के मंत्री जिवेश कुमार ने अपने कार्यालय कक्ष में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कही ।
नगर निकायों को कचरा मुक्त शहर बनाने के उद्देश्य से स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) 2.0 के तहत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के अन्तर्गत नगर निकायों के सभी प्रकार की इकाईयों से निकलने वाले ठोस अपशिष्ट का उठाव तथा गंतव्य स्थान तक पहुँचाने की व्यवस्था, अपशिष्ट का प्रसंस्करण सामग्री पुनर्प्राप्ति सुविधा एवं खाद संयंत्र की सहायता से की जाती है, इसके अतिरिक्त निष्क्रिय कचरे का निस्तारण किया जाता है।
वर्तमान में नगर निकायों में ठोस अपशिष्ट के प्रसंस्करण का प्रतिशत काफी कम है। इसे बढ़ाने हेतु राज्य सरकार द्वारा पटना एवं उसके आस-पास के ग्यारह शहरी निकायो (दानापुर, फतुहा, खगौल, फुलवारीशरीफ, सम्पतचक, मनेर, मसौढ़ी, बिहटा, बख्तियारपुर, नौबतपुर एवं पुनपुन) के लिए एक विशेष प्रस्ताव भारत सरकार को भेजा गया, जिस पर सैद्धांतिक सहमति प्राप्त हुई है ।
प्रस्तावित परियोजना के तहत रू॰ 514.59 करोड़ (पाँच सौ चौदह करोड़ उनसठ लाख रु०) के कुल अनुमानित लागत से पटना नगर निगम के रामचक बैरिया स्थित भूमि पर 1600 टन प्रतिदिन कचरे के प्रसंस्करण एवं निस्तारण हेतु व्यवस्था की जाएगी।
इसके तहत ठोस अपशिष्ट से पंद्रह मेगावाट के ऊर्जा का उत्पादन होगा । सौ टन प्रतिदिन बायो-मिथेन गैस का उत्पादन होगा। दो सौ पचास टन प्रतिदिन MRF-cum-RDF (Refused Derived Fuel) संयंत्र की स्थापना की जाएगी । साथ ही सात सौ टन के खाद संयंत्र की स्थापना और 325 टन प्रतिदिन निकलने वाले कचरे को गड्ढे भरने में इस्तेमाल किया जाएगा ।
इस मौके पर नगर विकास आवास विभाग के मंत्री जिवेश कुमार ने कहा कि इस परियोजना से वैज्ञानिक तरीके से ठोस अपशिष्ट के प्रबंधन से शहर की स्वच्छता में सुधार आएगा, प्रदूषण को कम किया जा सकेगा तथा शहर की सुन्दरता में भी वृद्धि होगी। ठोस अपशिष्ट के वैज्ञानिक प्रबंधन से बिमारियों को कम किया जा सकेगा। साथ ही उक्त प्रबंधन से पर्यावरण में सुधार होगा तथा वायु प्रदूषण को कम करने में सहायता मिलेगी। परियोजना के कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले बायोगैस एवं कचरे से बिजली उत्पादन होगा।
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