दुर्भाग्य की बात है किसी राजनीतिक पार्टी के किसी राजनेता ने भी उस समाज की हिस्सेदारी की बात नहीं की, जो वास्तव में में आरक्षण के हकदार हैं।
पटना : 2024 के चुनावों से पहले मोदी सरकार ने देश की महिलाओं को तोहफा दिया है. 'नारी शक्ति वंदन बिल' के कानून बनने के बाद महिलाओं को लोकसभा और विधानसभाओं में 33 फीसदी आरक्षण मिलेगा, लेकिन इस बिल से अत्यंत पिछड़ा समाज खुद को ठगा महसूस कर रहा है। ये कहना है अति पिछड़ा महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष कैलाश पाल का, जिन्होंने आज पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि गत दिनों विशेष सत्र के दौरान लोक सभा और राज्य सभा से पास हुए महिला आरक्षण बिल को किसी राजनेता ने सामाजिक न्याय का ऐतिहासिक फैसला बताया, तो किसी ने पिछड़ा विरोधी होने की संज्ञा दी। परन्तु दुर्भाग्य की बात है किसी राजनीतिक पार्टी के किसी राजनेता ने भी उस समाज की हिस्सेदारी की बात नहीं की, जो वास्तव में में आरक्षण के हकदार हैं। उन्होंने कहा कि अतिपिछड़ा महासंघ इस मुद्दे पर राजनीतिक पार्टियों को ध्यान आकृष्ट करने के लिए 2 अक्टूबर से जिलेवार धरना प्रदर्शन एवं समाजिक सभाऐं आयोजित करेगा.
उन्होंने कहा कि अत्यंत पिछड़ा समाज, जिसकी आबादी देश में लगभग 35% प्रतिशत है। लोक सभा और विधान सभा में इनकी भागीदारी महिलाओं से भी कम है। आगे उन्होंने कहा कि अत्यंत पिछड़ा समाज को भागीदारी दिए बिना महिला आरक्षण से अत्यंत पिछड़ा समाज आहात हुआ है और अपने को ठगा महसुस कर रहा है। इस फैसला से अतिपिछड़ा समाज में राजनीतिक पार्टीयों के प्रति भारी गुस्सा है। इससे पिछड़े समाज की महिलाओं का मोदी सरकार हक छीनने का काम कर रही है, जो हमारे समाज को नामंजूर है। कैलाश पाल ने कहा कि अत्यंत पिछड़ा सामाज को दरकिनार कर लिया गया महिला आरक्षण का फैसला देश की सत्ता में झूठा सामाजिक न्याय होगा। सच्चा सामाजिक न्याय के लिए समुचे देश में जातीय गणना के माध्यम से अति पिछड़ा वर्ग को चिन्हित करना होगा। "तत्पश्चात् जिसकी जितनी संख्या भारी उसकी उतनी हिस्सेदारी" की तर्ज पर विधान सभा व लोक सभा में आरक्षण देना होगा। इस अवसर पर प्रो० रामजी चन्द्रवंशी, नरेश चन्द्रवंशी, भगवान पाल, विरेन्द्र भगत, रवि गोल्डेन, अनिल राउत, अखिलेशकांत सिंह, नवीन कुमार चंद्रवंशी, गणेश बिंद तथा अन्य कार्यकर्ता उपस्थित रहें ।