हरियाणा की एफएसएल में 73 प्रतिशत तो वहीं पंजाब की लैब में 36 पद सीधी भर्ती के तो वहीं 36 पद पदाेन्नति के खाली हैं।
Punjab and Haryana High Court 73% vacancies haryana fsl 67 posts vacant in Punjab News In Hindi: पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने फॉरेंसिक साइंस लैब की रिपोर्ट में देरी को आरोपी और पीड़ित के तेज ट्रायल के अधिकार का उल्लंघन बताते हुए इस मामले में दोनों राज्यों की बनाई गई कमेटी के सुझावों पर विचार कर इन्हें लागू करने का आदेश दिया है। कोर्ट को बताया गया था कि हरियाणा की एफएसएल में 73 प्रतिशत तो वहीं पंजाब की लैब में 36 पद सीधी भर्ती के तो वहीं 36 पद पदाेन्नति के खाली हैं।
हाईकोर्ट के समक्ष पंचकूला में नशा मुक्ति केंद्र चलाने वाले विनीत यादव की याचिका सुनवाई के लिए पहुंची थी जिसमें उसने जमानत की मांग की थी। इस याचिका के विचाराधीन रहते हरियाणा सरकार की ओर से दाखिल एक अन्य याचिका हाईकोर्ट में दाखिल की गई थी। सरकार की याचिका में ट्रायल कोर्ट से उसे मिली डिफाल्ट जमानत रद्द करने की मांग की गई थी। समय पर चालान दाखिल न होने से उसे डिफाल्ट जमानत मिल गई थी जिसे हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया था। हाईकोर्ट ने कहा था कि रिपोर्ट में देरी के कारण आरोपियों के निष्पक्ष ट्रायल का अधिकार प्रभावित हो रहा है। हाईकोर्ट ने हरियाणा व पंजाब सरकार को एफएसएल के सही संचालन को सुनिश्चित करने के लिए कमेटी गठित करने का आदेश दिया था। आदेश के अनुसार हरियाणा व पंजाब सरकार ने आईएएस व आईपीएस अधिकारियों के नाम की सूची हाईकोर्ट में सौंप दी थी।
मामला दोबारा सुनवाई के लिए पहुंचा तो हाईकोर्ट ने कहा कि एफएसएल के पास लंबित मामलों की व्यापक संख्या के कारण मुकदमों में अनावश्यक देरी हुई है जो राज्यों की ओर से न्याय के समय पर प्रशासन सुनिश्चित करने में घोर विफलता को दर्शाती है। कोर्ट ने कहा कि समय पर और कठोर प्रतिक्रिया से न्यायालयों पर बोझ कम होगा, जेलों में भीड़भाड़ कम होगी, सार्वजनिक संसाधनों का संरक्षण होगा और ऐसी व्यवस्था में जनता का विश्वास बहाल होगा। न्याय भले ही कभी-कभी देरी से मिले, लेकिन इससे से वंचित नहीं किया जाएगा का विश्वास बना रहे। हाईकोर्ट ने कहा कि महत्वपूर्ण स्थायी पदों पर भारी रिक्तियां प्रशासन के भीतर अस्वीकार्य स्तर की आत्मसंतुष्टि को दर्शाती हैं। हाईकोर्ट ने कहा कि इस निर्देश से एक ऐसे युग की शुरुआत होगी, जहां हर व्यक्ति अपनी परिस्थितियों के बावजूद, आश्वस्त हो सकता है कि न्याय का पहिया तेजी और निष्पक्षता के साथ घूमेगा।
कमेटी के सुझज्ञव
तीन सदस्यीय समिति ने पूर्णकालिक निदेशक और अतिरिक्त निदेशक की नियुक्ति, स्वतंत्र निदेशालय की स्थापना, मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपीएस), अनुकूलित बजट उपयोग, कर्मियों की कमी को दूर करना, अधिकारियों की न्यायालय में व्यक्तिगत उपस्थिति को कम करना, एफएसएल के बुनियादी ढांचे और कार्यक्षेत्र को बढ़ाना, जांच अधिकारियों के लिए प्रशिक्षण, उपकरणों की प्राथमिकता के आधार पर खरीद और प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करना सहित विभिन्न विषयों पर सुझाव दिए थे।
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