हाई कोर्ट ने यह आदेश विदेशी कैदियों के मानवाधिकारों को लेकर लिए गए संज्ञान पर सुनवाई के दौरान दिया।
Punjab and Haryana High Court News: पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने हरियाणा, पंजाब व चंडीगढ़ प्रशासन से उन विदेशी कैदियों की जानकारी मांगी है जिनकी सजा पूरी हो चुकी है और जो उसके बाद भी जेल में बंद है। हाई कोर्ट ने यह आदेश विदेशी कैदियों के मानवाधिकारों को लेकर लिए गए संज्ञान पर सुनवाई के दौरान दिया।
हाई कोर्ट ने इस मामले में पिछली सुनवाई पर हरियाणा, पंजाब व चंडीगढ़ को महीने में एक बार विदेशी कैदियों से उनके परिजनों से काल या वीडियो काल की सुविधा को लेकर नीति बनाने पर जवाब मांगा था। कोर्ट के आदेश पर दोनों राज्यों की तरफ से कैदियों द्वारा काल और संबंधित शुल्कों के भुगतान पर सवाल उठाए गए।
कोर्ट ने दोनों राज्यों को कहा कि इस पहलू पर फिर से विचार करना होगा क्योंकि जेल में विदेशी नागरिकों के पास पैसे नहीं होंगे। हरियाणा के जेल महानिरीक्षक जगजीत सिंह के हलफनामे का हवाला देते हुए, खंडपीठ ने कहा कि हरियाणा की स्थिति पंजाब से बेहतर है।हरियाणा की 20 जेलों में आडियो और वीडियो जेल कैदी कॉलिंग सिस्टम लगाया गया है। 2022 में एक सेवा प्रदाता के साथ पांच साल के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। पंजाब ओर से उप महानिरीक्षक (कारागार) सुरिंदर सिंह द्वारा दिए गए एक हलफनामे दिया गया। हलफनामे के अनुसार जेलों में आईएसडी सुविधा प्रदान करने की मंजूरी के लिए पंजाब के जेल विभाग के सचिव को एक पत्र लिखा गया था।
कोर्ट ने कहा कि हमारे द्वारा व्यक्त की गई आशंकाओं के बारे में पंजाब, हरियाणा और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ द्वारा बेहतर हलफनामे दायर किए जाने चाहिए।
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हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जीएस संधावालिया बीते दिनों लुधियाना सेंट्रल जेल के दौरे पर थे। इस दौरान उन्हें वहां एक केन्या का नागरिक मिला, उसने बताया कि वह गिरफ्तारी के बाद अब तक अपने परिजनों से बात नहीं कर पाया है। जस्टिस संधावालिया ने इस मामले का संज्ञान लेते हुए इसे जनहित याचिका के तौर पर सुनने का निर्णय लिया था। सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने कहा कि विदेशी लोग जो जेल में हैं उनके भी मानवाधिकार हैं। उन्हें भी उनके परिजनों से संपर्क करने का अधिकार है। ऐसे में इस प्रकार की व्यवस्था की जरूरत है कि कम से कम महीने में एक बार उनको इसका अवसर दिया जाए। फोन कॉल या वीडियो कॉल के माध्यम से वे अपने परिजनों से बात कर सकें। हाई कोर्ट ने कहा कि राज्य और केंद्र शासित प्रदेश दोनों प्रशासनों को इसके लिए एक नीति बनाने का निर्देश दिया गया है.
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