पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने मोगा नगर निगम को इन अस्पतालों पर बीते 5 साल में की गई कार्रवाई का ब्योरा सौंपने का आदेश दिया है।
Punjab-Haryana HC News: निजी अस्पतालों से निकलने वाले बायोमेडिकल कचरे का सही निपटारा न होने और इससे बीमारियां फैलने की दलील देते हुए दाखिल याचिका पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने मोगा नगर निगम को इन अस्पतालों पर बीते 5 साल में की गई कार्रवाई का ब्योरा सौंपने का आदेश दिया है।
मोगा निवासी सुरेश सूद ने जनहित याचिका दाखिल करते हुए बायो मेडिकल वेस्ट व नियमों के खिलाफ चलने वाले निजी अस्पतालों की संख्या में कुकुरमुत्तों की तरह बढ़ोतरी का मुद्दा हाईकोर्ट के सामने रखा है। याची ने बताया कि बायोमेडिकल कचरा बेहद खतरनाक होता है और यह बीमारी फैलने का बड़ा कारण बन सकता है। इसके निपटारे के लिए राष्ट्रीय स्तर पर नियम तैयार किए गए हैं और इसी के तहत कचरे का निपटारा करने की अनिवार्यता है।
मोगा में निजी अस्पतालों में नियमों को ताक पर रखा जा रहा है। वहां बायो मेडिकल वेस्ट को ऐसे ही छोड़ दिया जाता है जो बेहद खतरनाक है। केवल केंद्रीय स्तर पर तय किए गए नियमों का ही नहीं बल्कि एमसी और स्थानीय नियमों की भी पालना नहीं की जा रही है। कुछ अस्पताल तो ऐसे हैं जिनके पास एनओसी तक नहीं है।
मोगा नगर निगम ने बताया कि इन अस्पतालों के पास पार्किंग स्थान, अग्निशमन विभाग व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से अनुमति, बिल्डिंग प्लान की मंजूरी भी नहीं है। हाईकोर्ट ने अब नगर निगम से पूछा है कि बीते पांच साल में इन अस्पतालों पर क्या कार्रवाई की गई है।
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