पूर्वोत्तर परिषद (एनईसी) की योजनाओं के लिये व्यय 3,202.7 करोड़ रुपये होगा। इसमें मौजूदा परियोजनाओं की प्रतिबद्ध देनदारी शामिल है।
New Delhi : केंद्र ने 15वें वित्त आयोग की शेष अवधि के लिये 12,882 करोड़ रुपये के व्यय के साथ पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय की योजनाओं को जारी रखने को मंजूरी दे दी है। वित्त आयोग की सिफारिशें 2022-23 से 2025-26 के लिये है।
पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री जी किशन रेड्डी ने यहां संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक में 15वें वित्त आयोग की बची हुई अवधि के लिये अनुमोदित योजनाओं को जारी रखने की फैसला किया गया।
उन्होंने कहा कि इससे परियोजना के चयन के संदर्भ में योजनाओं के क्रियान्वयन को लेकर बेहतर तरीके से योजना बनाने में मदद मिलेगी।
रेड्डी ने कहा कि 2025-26 तक ज्यादातर परियोजनाओं को पूरा करने का प्रयास किया जाएगा ताकि उस वर्ष के बाद कम-से-कम प्रतिबद्ध देनदारी हो।
मंत्री ने कहा कि व्यय वित्त समिति (ईएफसी) की सिफारिशों के आधार पर पूर्वोत्तर विशेष बुनियादी ढांचा योजना (एनईएसआईडीएस) के लिये व्यय 8,139.5 करोड़ रुपये होगा। इसमें जारी परियोजनाओं को लेकर प्रतिबद्ध देनदारी शामिल है।
पूर्वोत्तर परिषद (एनईसी) की योजनाओं के लिये व्यय 3,202.7 करोड़ रुपये होगा। इसमें मौजूदा परियोजनाओं की प्रतिबद्ध देनदारी शामिल है।
पूर्वोत्तर विशेष बुनियादी ढांचा योजना 100 प्रतिशत केंद्र के वित्तपोषण वाली केंद्रीय योजना है। इसे दो क्षेत्रों में पुनर्गठित किया गया है। पहला, एनईएसआईडीएस (सड़क) और दूसरा एनईएसआईडीएस (सड़क बुनियादी ढांचे के अलावा) है।
रेड्डी ने कहा कि केंद्र सरकार के लिये पूर्वोत्तर का विकास प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 50 से अधिक बार और केंद्रीय मंत्रियों ने पिछले आठ वर्षों में 400 से अधिक बार इस क्षेत्र का दौरा किया।
उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर पहले अशांति, बमबारी, बंद आदि के लिए जाना जाता था, लेकिन पिछले आठ वर्षों में मोदी के नेतृत्व में इस क्षेत्र में शांति स्थापित हुई है .