अदालत ने कहा, "जया ठाकुर का मामला (याचिका) उच्चतम न्यायालय के संज्ञान में है। वे इस पर विचार कर रहे हैं।"
Delhi High Court refuses to consider petition regarding immediate implementation of women's reservation News In Hindi: दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को एक वकील की जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण सुनिश्चित करने के लिए महिला आरक्षण कानून को तत्काल एवं समयबद्ध तरीके से लागू करने का आग्रह किया गया था।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा की पीठ ने कहा कि यह मुद्दा पहले से ही उच्चतम न्यायालय के समक्ष लंबित है और अधिनियम ने स्वयं ही इसके कार्यान्वयन के लिए एक तंत्र एवं प्रक्रिया प्रदान की है।
आधिकारिक तौर पर नारी शक्ति वंदन अधिनियम के रूप में जाना जाने वाला महिला आरक्षण कानून महिलाओं के लिए लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं में एक तिहाई सीट के आरक्षण का प्रावधान करता है। 29 सितंबर को राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद यह विधेयक कानून बन गया।
हालांकि, कानून तुरंत लागू नहीं होगा। यह नयी जनगणना होने के बाद लागू होगा जिसके आधार पर महिलाओं के लिए सीट आरक्षित करने के वास्ते परिसीमन किया जाएगा। याचिकाकर्ता योगमाया एमजी के वकील ने अदालत से कहा कि जनहित याचिका "संपूर्ण नारीत्व" के हित में है और आगामी आम चुनाव से पहले महिला आरक्षण अधिनियम का कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए एक समाधान निकाला जाना चाहिए।
अदालत ने कहा, "जया ठाकुर का मामला (याचिका) उच्चतम न्यायालय के संज्ञान में है। वे इस पर विचार कर रहे हैं।" अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने कहा कि याचिका एक "प्रचार याचिका" है और विधायिका में महिलाओं के लिए आरक्षण शुरू करने की प्रक्रिया पहले से ही अधिनियम में शामिल है। याचिकाकर्ता ने उच्चतम न्यायालय जाने की छूट के साथ याचिका वापस ले ली।योगमाया एमजी ने पहले एक रिट याचिका दायर की थी जिस पर उच्च न्यायालय की एकल न्यायाधीश पीठ ने सुनवाई की थी। बाद में उन्होंने जनहित याचिका दायर करने की छूट के साथ याचिका वापस ले ली थी।
लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीट आरक्षित करने के महत्वपूर्ण विधेयक को 21 सितंबर को संसदीय मंजूरी मिल गई थी। कांग्रेस नेता जया ठाकुर ने अगले साल के आम चुनाव से पहले 128वें संविधान (संशोधन) विधेयक-नारी शक्ति वंदन अधिनियम को तत्काल लागू करने की आग्रह करते हुए शीर्ष अदालत में याचिका दायर की है। महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण संसद के उच्च सदन और राज्य विधान परिषदों में लागू नहीं होगा। भाषा
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