उन्होंने कहा, ‘‘बीबीसी के विवादास्पद वृत्तचित्र को दिखाने का मकसद विश्वविद्यालय परिसर में ‘अव्यवस्था’’ पैदा करना था।
New Delhi: दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के कुलपति योगेश सिंह ने कहा है कि परिसर में अनुशासनहीनता को बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। साथ ही उन्होंने कहा कि कुछ छात्र संगठनों द्वारा ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन (बीबीसी) के विवादास्पद वृत्तचित्र को दिखाने का मकसद विश्वविद्यालय परिसर में ‘अव्यवस्था’’ पैदा करना था। सिंह ने एक साक्षात्कार में ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि डीयू के बुनियादी ढांचे का कायाकल्प शीर्ष प्राथमिकता में है और नये पाठ्यक्रम पेश करने पर विचार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि डीयू विदेशी संस्थानों के साथ सहयोग के लिए तैयार है
उन्होंने कहा, ‘‘बीबीसी के विवादास्पद वृत्तचित्र को दिखाने का मकसद विश्वविद्यालय परिसर में ‘अव्यवस्था’’ पैदा करना था। और वे लोग ऐसा करने में कामयाब भी रहे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ लेकिन मैं परिसर में इस तरह का व्यवहार नहीं होने दूंगा, इसलिए मामले की जांच के लिए सात सदस्यीय कमेटी गठित की गई।’’
नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया और भीम आर्मी स्टूडेंट फेडरेशन ने पिछले महीने कहा था कि वे 2002 के गुजरात दंगों पर विवादित वृत्तचित्र ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ का डीयू के उत्तरी परिसर में अलग-अलग समय पर प्रदर्शन करेंगे।
गौरतलब है कि 27 जनवरी को ‘स्क्रीनिंग’ के दिन पुलिस और विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्रों को आगे बढ़ने से रोका तो हंगामा हो गया था। दिल्ली विश्वविद्यालय के कला संकाय से 24 छात्रों को हिरासत में लिया गया था।
इस घटना के बाद सुरक्षा में कमियों की जांच करने के वास्ते ‘चीफ प्रॉक्टर’ रजनी अब्बी की अध्यक्षता में सात सदस्यीय समिति का गठन किया गया था। कुलपति ने कहा कि समिति ने 31 जनवरी को अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट सौंपी थी और समिति विस्तृत जांच के तहत घटना में शामिल छात्रों के माता-पिता के साथ बातचीत कर रही है।
सिंह ने कहा, ‘‘जांच जारी है और जल्द ही परिणाम सामने आयेगा।’’
हंसराज कॉलेज में मांसाहार पर पाबंदी को 'तुच्छ मुद्दा' बताते हुए सिंह ने कहा कि यदि प्राचार्य आर्य समाज के मूल्यों को लागू करना चाहते हैं तो किसी को इससे परेशानी नहीं होनी चाहिए।
सिंह ने कहा '' यह एक तुच्छ विवाद है। खानपान की आदतें व्यक्तिगत पसंद पर निर्भर करती हैं। लेकिन जब हम ऐसे कॉलेज में हैं जिसे आर्य समाज द्वारा सहायता प्रदान की जा रही हैं और यदि प्राचार्य आर्य समाज के मूल्यों को लागू करना चाहते हैं तो हमें इसका समर्थन करना चाहिए। '' साथ ही उन्होंने कहा कि लोगों को अपने अहंकार को एक तरफ रखना चाहिए। .
भारत से बाहर दिल्ली विश्वविद्यालय के विस्तार की योजना पर सिंह ने कहा कि फिलहाल कोई योजना नहीं है, लेकिन हम इस पर विचार करने के लिए तैयार हैं। दो-भाग के वृत्तचित्र में दावा किया गया है कि इसने 2002 के गुजरात दंगों से संबंधित कुछ पहलुओं की जांच की। गुजरात दंगों के समय प्रधानमंत्री मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे।
आगामी सत्र के बारे में सिंह ने कहा कि पिछले साल की तरह, विश्वविद्यालय में इस साल भी साझा विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा (सीयूईटी) के माध्यम से प्रवेश दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि प्रक्रिया के लिए विश्वविद्यालय पूरी तरह से तैयार है।
उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि सीयूईटी को वर्ष में दो बार आयोजित किया जाना चाहिए।
सिंह ने कहा, ‘‘पिछली बार पहली बार ऐसा हुआ था और हमें कुछ दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। बेहतर स्थिति यह होगी कि वर्ष में दो बार सीयूईटी का आयोजन किया जाये। सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन पर विचार किया जाना चाहिए और मुझे उम्मीद है कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) इस पर विचार करेगा।"
कुलपति ने कहा कि विश्वविद्यालय में सभी 70,000 सीटों को भरने के लिए कई पहल करने के बावजूद पिछले साल लगभग 5,000 सीट खाली रह गईं। उन्होंने कहा कि यह सीयूईटी के कारण नहीं है, बल्कि इसलिए है क्योंकि कुछ पाठ्यक्रम ऐसे हैं जो इतने प्रचलित नहीं हैं।
पिछले साल, सेंट स्टीफन कॉलेज और डीयू प्रशासन के बीच उस समय विवाद पैदा हो गया था, जब कॉलेज ने अल्पसंख्यक संस्थान होने का हवाला देते हुए विश्वविद्यालय द्वारा तैयार किए गए दाखिला मानदंडों को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था।
सिंह ने कहा कि मामला सुलझ गया है और इस साल से कॉलेज में दाखिले सिर्फ सीयूईटी के जरिए होंगे।
उन्होंने घोषणा की कि डीयू के सभी कॉलेजों में दाखिला केवल सीयूईटी के माध्यम से होगा और कोई साक्षात्कार आयोजित नहीं किया जाएगा।
सिंह ने आने वाले वर्षों में विश्वविद्यालय के लिए प्राथमिकताओं को गिनाते हुए कहा, ‘‘हमें विश्वविद्यालय में सुधार करना है, अपने बुनियादी ढांचे को नया रूप देना है, और भवनों और पाठ्यक्रमों सहित नई परियोजनाओं को शुरू करना है। हम अपनी अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग में सुधार करना चाहते हैं। कई परियोजनाओं पर अभी विचार किया जा रहा है।’’ .
सिंह ने दोहराया कि यूजीसी के नियमों के बावजूद डीयू तीन साल के पाठ्यक्रम का विकल्प चुनने वाले छात्रों को ऑनर्स डिग्री देना जारी रखेगा।