न्यायाधीशं संदीप शर्मा ने प्रार्थी सीता राम शर्मा की ओर से दायर याचिका का निपटारा करते यह कानूनी स्थिति स्पष्ट की।
Himachal Pradesh High News: किसी सरकारी कर्मचारी की कार्रवाई का विरोध करते हुए फेसबुक पर लाइव आकर सीधा प्रसारण करना अपराध नहीं है। हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने कहा कि किसी लोक सेवक को उसके कार्यों या कर्तव्यों के मिर्वहन में परेशान किए बिना फेसबुक लाइव जैसा निष्क्रिय आचरण दिखाना, भारतीय दंड संहिता की धारा 186 के तहत अपराध नहीं है। इस धारा के तहत किसी लोक सेवक को स्वैच्छिक रूप से उसके कर्तव्य से बाधित करना अपराध माना गया है। न्यायाधीशं संदीप शर्मा ने प्रार्थी सीता राम शर्मा की ओर से दायर याचिका का निपटारा करते यह कानूनी स्थिति स्पष्ट की।
प्रार्थी के अनुसार वह उस समय फेसबुक पर लाइव हुआ था, जब पुलिस ने ट्रैफिक ड्यूटी के दौरान उससे वाहन के दस्तावेज दिखाने के लिए कहा। पुलिस ने प्रार्थी पर लोक सेवक को सार्वजनिक कार्यों के निर्वहन में बाधा डालने के आरोप लगाते हुए आईपीसी की धारा 186 के तहत मामला दर्ज किया था। प्रार्थी ने पुलिस की इस कार्रवाई को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता के खिलाफ मामले में आरोप यह है कि वह फेसबुक पर लाइव हुआ और कुछ टिप्पणियां कीं, लेकिन उसके इस तरह के कृत्य को लोक सेवक के कामकाज में हस्तक्षेप करना नहीं माना जा सकता।
यह था मामला:
24 अगस्त 2019 को पुलिस ने याचिकाकर्ता को कथित तौर पर सीट बेल्ट नहीं पहनने को लेकर वाहन रोकने के लिए कहा था, लेकिन उसने वाहन नहीं रोका। बाद में पुलिस ने उसके वाहन को दूसरी जगह खड़ा पाया और उससे पूछा कि वह क्यों नहीं रुका। पुलिस ने उससे वाहन के कागजात दिखाने को कहा और चालान काटने लगी। पुलिस के अनुसार याचिकाकर्ता ने इस दौरान दुर्व्यवहार किया और फेसबुक पर लाइव' होकर आरोप लगाया कि उसके खड़े वाहन का बिना किसी कारण के चालान किया जा रहा है।
(For More News Apart from Himachal Pradesh High Court comment - protesting against action on Facebook Live is not a crime, Stay Tuned To Rozana Spokes man)