
260 करोड़ रुपये का कर्ज नाबार्ड से लेने की कार्यवाही शुरू कर दी गई है।
Punjab govt should explore possibilities of producing ethanol in sugar mills News In Hindi: चंडीगढ़: सहकारिता को लेकर बनी पंजाब विधानसभा की कमेटी ने पंजाब सरकार से सिफारिश की है कि सहकारी चीनी मिलों को चलाने के लिए इनमें इधनाल बनाने की संभावनाएं तलाशी जाएं। गुरदासपुर व बटाला की चीनी मिलों में इन्हें चलाने की संभावना अधिक है। सहकारिता विभाग के प्रस्तुतिकरण में बताया गया है कि गुरदासपुर मिल में यह प्लांट लगाने के लिए डीपीआर तैयार कर ली गई है और 260 करोड़ रुपये का कर्ज नाबार्ड से लेने की कार्यवाही शुरू कर दी गई है।
सरदूलगढ़ के विधायक गुरप्रीत सिंह बनांवली की अध्यक्षत वाली विधानसभा की कमेटी के साथ हुई बैठकों का विवरण देते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि सहकारी चीनी मिलों की वायबिलिटी केवल इथनाल प्लांट चलाने से मिलेगी। कहा गया कि चीनी बनाने में 5500 से 6000 रुपए प्रति क्विंटल खर्च आता है जबकि बाजार में कीमत मात्र 3700 रुपए से 3900 रुपए पर बिक रही है। यदि प्लांट में को जेनेरेशन प्लांट लगाया जाता है तब भी इसकी वायबिलिटी नहीं बनती क्योंकि यहां पैदा होने वाली बिजली का रेट 4.5 रुपए प्रति यूनिट है जबकि पावरकाम 3.5 रुपए पर खरीद करता है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि एक तरफ पावरकाम दस रुपए तक भी बिजली की खरीद करता है। अगर को जेनेरेशन प्लांटों से 5.5 रुपए प्रति यूनिट पर खरीद कर ले तो इससे चीनी मिलें फायदे में आ सकती हैं।
विधानसभा की कमेटी ने उत्तर भारत की यमुनानगर में लगी सबसे बड़ी चीनी मिल का भी दौरा किया और अपनी रिपोर्ट में कहा कि यमुनानगर की मिल का सिस्टम गुरदासपुर व बटाला चीनी मिलों में लागू किया जा सकता है। बणांवाली ने बताया कि यमुनानगर मिल का 'सारा सिस्टम कंप्यूटराइज्ड है। वहां मैनपावर का कोई मुद्दा नहीं है। पंजाब की मिलों में गन्ने का जूस दो स्टेज पर निकाला जाता है जबकि यमुनानगर वाली मिल में यह पांच स्टेज पर निकाला जाता है इसलिए उनकी मिल की रिकवरी काफी अच्छी है।
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