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जूट नगदी फसल है जिसे बेच कर किसान अपने जरूरी कार्य को निष्पादित करते है।
पटना : पूर्व उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने कहा है कि केन्द्र सरकार के इस निर्णय से कि खाद्यान्न की पैकेजिंग अब केवल जूट के बैग में ही होगी से बिहार के सीमांचल व मिथिलांचल के जूट (पटसन) उत्पादक किसानों को बड़ी राहत मिलेगी। इसके साथ ही जूट मिलों व श्रमिकों को भी केन्द्र सरकार के इस निर्णय से नया जीवनदान मिलेगा।
उन्होंने कहा कि बिहार के सीमांचल कटिहार, पूर्णिया, अररिया और किशनगंज के साथ ही मिथिलांचल के मधुबनी, दरभंगा और सहरसा के बड़े इलाके में जूट की खेती बड़े पैमाने पर होती है। बिहार के करीब 1.57 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में जूट की खेती होती है। इससे 86 लाख किसान सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं। जूट की मांग कम होने से किसान इसकी खेती से विमुख होने लगे थे। जूट नगदी फसल है जिसे बेच कर किसान अपने जरूरी कार्य को निष्पादित करते है।
प्रसाद ने कहा कि जलजमाव वाले निचले स्थानों में जूट को तैयार कर पश्चिम बंगाल के जूट मिलों में भेजा जाता है, मगर पॉली बैगों के बढ़ते इस्तेमाल से जूट उत्पादक किसानों के साथ ही जूट मिलों और उसमें काम करने वाले श्रमिकों की माली हालत दयनीय हो गई थी। केन्द्र सरकार के इस निर्णय से पटसन की खपत बढ़ेगी जिससे किसानों की आय में भी वृद्धि होगी और अधिक से अधिक किसान पटसन की खेती करने के लिए प्रोत्साहित होंगे।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में जूट वर्ष 2022-23 के लिए पैकेजिंग में जूट के अनिवार्य इस्तेमाल के आरक्षण संबंधी नियमों की मंजूरी दी गई है। इन नियमों के तहत खाद्यान्न की 100 प्रतिशत और चीनी की 20 प्रतिशत पैकेजिंग जूट बैग में करना अनिवार्य है। इन नियमों की मंजूरी से पटसन उत्पादक किसानों, जूट मिलों और अन्य संबद्ध इकाइयों में कार्यरत 3.7 लाख श्रमिकों को बड़ी राहत मिलेगी।