आज कॉरपोरेट विरोधी दिवस के रूप में राष्ट्रव्यापी आह्वान के तहत राज्य के उपायुक्तों के कार्यालयों के सामने विशाल धरना दिया।
Chandigarh News In Hindi:संयुक्त किसान मोर्चा और ट्रेड यूनियनों ने संयुक्त रूप से आज कॉरपोरेट विरोधी दिवस के रूप में राष्ट्रव्यापी आह्वान के तहत राज्य के उपायुक्तों के कार्यालयों के सामने विशाल धरना दिया। इन धरनों में सरकारों से अपनी कॉरपोरेट समर्थक नीतियों को छोड़ने और किसानों-मजदूरों की जायज मांगों को मानने की आवाज उठाई गई। धरने के दौरान पंजाब पुलिस ने किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल की हिरासत की निंदा करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया और चेतावनी दी कि किसानों पर किसी भी तरह की जबरदस्ती कार्रवाई के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं की जाएगी।
गौरतलब है कि ऐतिहासिक किसान आंदोलन जिसने 750 किसानों की शहादत और क्रूर सरकारी दमन के सामने मोदी सरकार को तीन काले कानून वापस लेने के लिए मजबूर किया था, लेकिन उस समय मोदी सरकार ने किसानों की मांगें पूरी करने से इनकार कर दिया था। बाकी मांगों को लेकर ये धरने 26 नवंबर को किसान आंदोलन की चौथी सालगिरह पर दिए गए हैं।
इन धरनों में प्रमुख मांगें जैसे सभी फसलों के लिए एमएसपी से ऊपर खरीद की कानूनी गारंटी देना, किसानों को कर्ज से राहत देना, 60 साल की उम्र में किसानों को 10,000 रुपये मासिक पेंशन देना, बिजली संशोधन विधेयक 2022 को वापस लेना, भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 का उल्लंघन रोकना , सरकारी खर्च पर फसल बीमा योजना लागू करना, उर्वरक और सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से खाद्यान्न पर सब्सिडी कम करना। निर्णय वापस लें, बासमती चावल को एमएसपी गारंटी कानून के तहत लाएं, सभी चार श्रम कोड रद्द करें, न्यूनतम वेतन 26000 रुपये करें, सार्वजनिक क्षेत्र की निजीकरण नीतियों को रद्द करें, अनुबंध श्रमिकों का वेतन 26 हजार रुपये करें, मनरेगा योजना पर आधारित है 200 दिनों के अधीनस्थ कार्य की गारंटी और 600 रुपये प्रति दिन का भुगतान, चीनी मिलों को बंद करने आदि की माँगें। मांग पत्र उपायुक्तों के माध्यम से देश के राष्ट्रपति को भेजा गया।
धरने के दौरान पंजाब सरकार से मांग की गई कि मंडियों में धान की खरीद के दौरान कच्ची पर्चियों व कट्टों के जरिए किसानों से की गई लूट का मुआवजा दिया जाए। धरना-प्रदर्शन के दौरान धान की नमी का स्तर 17 प्रतिशत की जगह 22 प्रतिशत करने की भी मांग की गयी़ वक्ताओं ने कहा कि उपरोक्त मांगों को पूरा करने के लिए बड़े पैमाने पर सतत व एकजुट संघर्ष की जरूरत है। उन्होंने कहा कि संघर्ष का दायरा बढ़ाने की जरूरत है ताकि कॉरपोरेट समर्थक नीतियों के खिलाफ एक बड़ा जन आंदोलन खड़ा किया जा सके।
आज के धरने को बलबीर सिंह राजेवाल, हरिंदर सिंह लाखोवाल, डॉ। दर्शनपाल, निर्मल सिंह धालीवाल (एटीके), रमिंदर सिंह पटियाला, चंद्रशेखर (सीटू), बलदेव सिंह निहालगढ़ सहित संयुक्त किसान मोर्चा और ट्रेड यूनियनों के प्रमुख नेताओं ने संबोधित किया। हरमीत सिंह कादियान, कुलविंदर सिंह वड़ैच (आईएफटीयू), बूटा सिंह बुर्जगिल, मंजीत सिंह धनेर, डॉ। सतनाम सिंह अजनाला, देव राज (सीटीयू), रुलदू सिंह मानसा, राजविंदर सिंह राणा (एआईसीसीटीयू), प्रेम सिंह भंगू, सुरिंदर शर्मा (इंटक), बलजीत सिंह ग्रेवाल, सुरिंदर सिंह (मासा), बूटा सिंह शादीपुर, बिंदर सिंह गोलेवाला, बौघ सिंह मनसा , जंगवीर सिंह चौहान, फुरमान सिंह संधू, हरजिंदर सिंह टांडा, सुख गिल, कंवलप्रीत सिंह पन्नू, सुखदेव सिंह अरायणवाला, हरविंदर सिंह, वीर सिंह बरवा, हरदेव सिंह संधू, हरबंस सिंह संघा और हरजीत सिंह रवि आदि ने संबोधित किया।
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