वैज्ञानिकों ने की ब्रेस्ट कैंसर के जोखिम वाले चार नए जीन की पहचान

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वैज्ञानिकों ने की ब्रेस्ट कैंसर के जोखिम वाले चार नए जीन की पहचान
Published : Aug 21, 2023, 5:34 pm IST
Updated : Aug 21, 2023, 5:34 pm IST
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यह सुझाव देते हुए कहा कि अब भी अधिक जीनों की पहचान की जानी बाकी है ।

New Delhi: वैज्ञानिकों ने ब्रेस्ट कैंसर  से जुड़े कम से कम चार नये जीन की पहचान की है जो इस बीमारी के बढ़ते जोखिम वाली महिलाओं की पहचान करने में मदद कर सकते हैं। नेचर जेनेटिक्स पत्रिका में हाल में प्रकाशित यह खोज कैंसर के विकास के अंतर्निहित जैविक तंत्र पर महत्वपूर्ण जानकारी भी प्रदान करती है, जो संभावित रूप से नए उपचारों की पहचान करने का रास्ता खोलती है।

ब्रिटेन में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय और कनाडा में यूनिवर्साइट लावल के शोधकर्ताओं के नेतृत्व वाली अंतरराष्ट्रीय टीम ने कहा कि स्तन कैंसर के लिए वर्तमान आनुवंशिक परीक्षण केवल कुछ ही जीनों के बारे में है, जिनमें बीआरसीए1, बीआरसीए2 और पीएएलबी2 शामिल है। हालांकि, ये केवल आनुवंशिक जोखिम के सीमित अंशों की व्याख्या करते हैं । उन्होंने यह सुझाव देते हुए कहा कि अब भी अधिक जीनों की पहचान की जानी बाकी है ।

नवीनतम अध्ययन में यूरोप एवं एशिया के आठ देशों की ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित 26,000 महिलाओं और बिना स्तन कैंसर वाली 217,000 (2.17 लाख) महिलाओं के सभी जीनों में आनुवंशिक परिवर्तनों को देखा गया। इस अध्ययन के सह-नेतृत्वकर्ता एवं कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डगलस ईस्टन ने कहा, ‘‘हमारी जानकारी के अनुसार, यह अपनी तरह का सबसे बड़ा अध्ययन है।’’

ईस्टन ने एक बयान में कहा, ‘‘यह कई देशों में कई सहयोगियों के डेटा के उपयोग के साथ-साथ यूके बायोबैंक के सार्वजनिक रूप से उपलब्ध डेटा के माध्यम से संभव हुआ।’’

शोधकर्ताओं को कम से कम चार नए स्तन कैंसर के जोखिम वाले जीनों के साक्ष्य मिले, जिनमें कई अन्य के लिए संकेतात्मक साक्ष्य भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि इन नए जीनों की पहचान से स्तन कैंसर के आनुवंशिक जोखिम को समझने में मदद मिलेगी और उन महिलाओं की बेहतर पहचान करके जोखिम की भविष्यवाणी में सुधार करने में मदद मिलेगी जिनमें इस बीमारी का खतरा अधिक है। शोधकर्ताओं के अनुसार, निष्कर्ष स्तन जांच, जोखिम में कमी और नैदानिक ​​प्रबंधन के दृष्टिकोण को बेहतर ढंग से सूचित करेंगे।

उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य इस जानकारी को वर्तमान में दुनिया भर में स्वास्थ्य पेशेवरों द्वारा उपयोग किए जाने वाले व्यापक जोखिम पूर्वानुमान उपकरण में एकीकृत करना है। अध्ययन के सह-प्रमुख यूनिवर्साइट लावल के प्रोफेसर जैक्स सिमर्ड ने कहा, ‘‘उच्च जोखिम वाली महिलाओं के लिए आनुवांशिक परामर्श में सुधार जोखिम कम करने की रणनीतियों, स्क्रीनिंग और उपचार विकल्पों के निर्धारण के संबंध में साझा निर्णय लेने को बढ़ावा देगा।’’

सिमर्ड ने कहा, ‘‘हालांकि इन नए जीनों में पहचाने जाने वाले अधिकांश स्वरूप दुर्लभ हैं, लेकिन उन महिलाओं के लिए जोखिम महत्वपूर्ण हो सकते हैं जो इन्हें धारण करते हैं। उदाहरण के लिए, नए जीनों में से एक, एमएपी3के1 में परिवर्तन, विशेष रूप से स्तन कैंसर के उच्च जोखिम को जन्म देता है।’’

Location: India, Delhi, New Delhi

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ROZANASPOKESMAN

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