पार्किंसंन एक मस्तिष्क विकार है, जिसके कारण शरीर में कंपकंपी, ऐंठन और संतुलन एवं समन्वय बैठाने में कठिनाई होती है।
New Delhi: कुछ गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं, जैसे निगलने में कठिनाई, कब्ज और आंत विकार (आईबीएस) पार्किंसंन रोग के जोखिम से जुड़ी हो सकती हैं। एक अध्ययन से यह जानकारी सामने आई है। पार्किंसंन एक मस्तिष्क विकार है, जिसके कारण शरीर में कंपकंपी, ऐंठन और संतुलन एवं समन्वय बैठाने में कठिनाई होती है।
शोधकर्ताओं ने कहा कि पूर्व में आंत की कुछ समस्याओं को पक्षाघात या मस्तिष्क धमनी विकार या अल्जाइमर रोग जैसी बीमारियों का कारण बनने से जोड़ा गया है। पत्रिका ‘गट’ में प्रकाशित नवीनतम अध्ययन में अमेरिकी राष्ट्रव्यापी मेडिकल रिकॉर्ड नेटवर्क (ट्राइनेटएक्स) के 24,624 लोगों के आंकड़ों का उपयोग किया गया, जिन्हें अज्ञात कारण से पार्किंसंन रोग हुआ था।
ऐसे लोगों की तुलना उन लोगों से की गई, जो अन्य मस्तिष्क विकार स्थितियों जैसे अल्जाइमर रोग (19,046) या सेरेब्रोवास्कुलर रोग से ग्रसित (23,942) या इनमें से कोई भी नहीं (24,624) पाए गए थे। पार्किंसंन रोग से पीड़ित लोगों का उनके इस रोग का पता चलने से औसतन 6 साल पहले के इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड में शामिल आंत रोग स्थितियों की आवृत्ति की तुलना करने के लिए उम्र, लिंग और अन्य विवरणों के आधार पर अन्य समूहों के लोगों के साथ मिलान किया गया था।
के.यू. ल्यूवेन यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल, बेल्जियम और जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी ब्लूमबर्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ, अमेरिका के शोधकर्ताओं की टीम ने नेटवर्क के उन सभी वयस्कों को अलग-अलग समूहों में विभाजित किया, जो 18 आंत स्थितियों में से किसी से ग्रसित पाए गए थे।
इन समूहों में शामिल लोगों का उन लोगों से मिलान किया गया जिनके पेट में कोई विशेष समस्या नहीं थी और उनके स्वास्थ्य रिकॉर्ड के माध्यम से पांच वर्षों तक निगरानी की गई कि उनमें से कितने लोगों में पार्किंसंन रोग या अन्य तंत्रिका संबंधी विकार विकसित हुए। शोधकर्ताओं ने कहा कि दोनों विश्लेषणों से संकेत मिलता है कि आंत रोग की स्थितियां पार्किंसंन रोग के उच्च जोखिम से जुड़ी थीं।